दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार की आबकारी नीति 2021-22 की सीबीआई जांच की सिफारिश की। जिसके बाद सियासी हलचल भी तेज हो गई। वहीं केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि इस नीति को शहर में अवैध रूप से अपनाया गया है और लोगों को धोखा दिया गया है।
इससे पहले शुक्रवार को, मुख्य सचिव द्वारा एक रिपोर्ट के बाद सीबीआई जांच की सिफारिश की गई है, जिसमें जीएनसीटीडी अधिनियम 1991, व्यापार नियमों के लेनदेन (टीओबीआर) 1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम 2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम 2010 के प्रथम ²ष्टया उल्लंघन है।
यहां भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए लेखी ने कहा कि शराब नीति अवैध रूप से अपनाई गई और दिल्ली की जनता को ठगा गया है।
उन्होंने सवाल किया, सीएम केजरीवाल को तथ्यों के आधार पर इस घोटाले का पूरा विवरण देना चाहिए। प्रक्रिया का पालन किए बिना उन्हें कागजात पर हस्ताक्षर करने की क्या जल्दी थी?
केजरीवाल की आलोचना करते हुए लेखी ने कहा कि उनकी सरकार ने दिल्ली में शराब कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया है और गुटबंदी को बढ़ावा दिया है।
लेखी ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में शराब के कारोबार में हुए घोटाले से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है।
केंद्रिय मंत्री और नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र के लोकसभा सदस्य ने दावा किया कि लाइसेंसधारियों को 144.36 करोड़ रुपये से अधिक की छूट दी गई और एक कंपनी की 30 करोड़ रुपये की बयाना राशि नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किए बिना वापस कर दी गई।
लेखी ने मुख्यमंत्री केजरीवाल से पिछले साल अक्टूबर में कुछ शराब कंपनियों को आबकारी विभाग द्वारा नोटिस भेजे जाने के बाद मामले में की गई कार्रवाई के बारे में भी सवाल किया।
उसने आगे दावा किया कि नए आबकारी नीति को क्रियान्वित करने में किए गए निर्णयों और अनियमितताओं में अपनी दोषीता स्थापित करने वाले लोगों के दस्तावेज और हस्ताक्षर थे।
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Source : IANS