जलवायु संबंधी लंबित मुद्दों को सीओपी26 पर हल किया जाना चाहिए : भारत

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जलवायु संबंधी लंबित मुद्दों को सीओपी26 पर हल किया जाना चाहिए : भारत

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IANS
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New Delhi

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

भारत के पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने मजबूत जलवायु कार्रवाई की तात्कालिकता पर जोर देते हुए गुरुवार को 2020 के बाद के लिए दीर्घकालिक जलवायु वित्त की स्थापना की प्रक्रिया शुरू करने और विकसित देशों द्वारा 100 अरब डॉलर की प्रतिबद्धता लक्ष्य की पूर्ति की आवश्यकता को रेखांकित किया।

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वह यूरोपीय संघ के कार्यकारी उपाध्यक्ष, यूरोपीय ग्रीन डील, फ्रैंस टिमरमैन के साथ आयोजित द्विपक्षीय बैठक में बोल रहे थे, जिसमें दोनों पक्षों ने सीओपी26, यूरोपीय संघ-भारतीय जलवायु नीतियों और द्विपक्षीय सहयोग से संबंधित जलवायु मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला पर चर्चा की।

आगामी सीओपी26 के संबंध में, ब्रिटेन के ग्लासगो में 31 अक्टूबर से होने वाला वार्षिक संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, पारस्परिक रूप से, राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुएसभी महत्वपूर्ण लंबित मुद्दे जैसे कि अनुच्छेद 6, सामान्य समय सीमा, उन्नत पारदर्शिता ढांचा आदि को हल किया जाना चाहिए।

दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि भारत और यूरोपीय संघ को संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) और पेरिस समझौते के पूर्ण और प्रभावी कार्यान्वयन को सक्षम करने के लिए सीओपी 26 के सफल परिणाम प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए, जिस पर काम करने के लिए सरकारों द्वारा 2015 में हस्ताक्षर किए गए थे। पूर्व-औद्योगिक युग की तुलना में वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बनाए रखने के लिए उत्सर्जन को प्रतिबंधित करना।

यादव ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक विज्ञप्ति में कहा कि अक्षय ऊर्जा, ई-वाहनों सहित टिकाऊ परिवहन, ऊर्जा दक्षता, वन और जैव विविधता संरक्षण आदि के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को कवर करते हुए हरित संक्रमण की दिशा में भारत की महत्वाकांक्षी जलवायु कार्य योजनाओं पर प्रकाश डाला गया।

जलवायु कार्रवाइयों पर भारत के नेतृत्व की सराहना करते हुए टिमरमैन ने कहा कि 2030 तक भारत के 450 गीगावाट अक्षय ऊर्जा के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की पूरी दुनिया प्रशंसा कर रही है।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि दोनों पक्ष जलवायु और पर्यावरण पर द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने का पता लगा सकते हैं, विशेष रूप से उन तरीकों और साधनों पर जो कम कार्बन मार्गो को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।

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Source : IANS

      
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