कांग्रेस पार्टी देश में लोकतंत्र की विरासत.. : कन्हैया
कांग्रेस पार्टी देश में लोकतंत्र की विरासत.. : कन्हैया
नई दिल्ली:
हाल ही में कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होने पर राजनीतिक गलियारों में काफी गहमागहमी हुई। इससे पहले वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन से जुड़े रहे। फिर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे। ऐसा माना जा रहा है कि एक लंबी चर्चा के बाद कन्हैया ने कांग्रेस का हाथ थामा है।आईएएनएस ने कन्हैया कुमार से सीधी बातचीत की। यह रिपोर्ट इसी बातचीत पर आधारित है। यह सर्वविदित है कि सीपीआई और कांग्रेस की विचारधारा अलग है। जाहिर है, कांग्रेस में आने का मतलब यह भी है कि अब कन्हैया सीपीआई से कन्नी काटेंगे। इस पृष्ठभूमि में जब उनसे यह सवाल पूछा गया कि उनकी विचारधारा में अब क्या कुछ परिवर्तन देखने को मिलेंगे, तो वे राजनीति से इतर, विचारधारा की साहित्यिक व्याख्या पर केंद्रित रहे।
उन्होंने कहा, विचार गतिशील है। विचारधारा शब्द सुनने से ही एक प्रवाहित होने वाली चीज का अहसास कराती है। परिवर्तन संसार का नियम है, फिर भी बुनियाद नहीं बदलती है। उन्होंने अपनी बुनियाद की पहचान भारतीय संस्कृति को सौंपते हुए सर्वकल्याण और वसुधैव कुटुंबकम से जोड़ा। फिर भी बीजेपी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि अभी सत्ता पर ऐसी सोच हावी है जो सवाल जवाब पसंद नहीं करती। ऐसी सोच देश के आलोचनात्मक सवाल-जवाब की चिंतन पद्धति को खत्म कर देश को खोखला कर रही है। साथ ही कांग्रेस के ऐतिहासिक विरासत का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस देश की सांस्कृतिक और वैचारिक विरासत को समेटकर चलने वाली पार्टी है, इसीलिए वे कांग्रेस के साथ जुड़ पाए।
कुछ समय से कई राज्यों में कांग्रेस पार्टी का अंतर्कलह चर्चा का विषय रहा है। जिस दिन कन्हैया कांग्रेस के साथ औपचारिक तौर से जुड़े, ठीक उसी दिन सुबह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष से ट्विटर पर इस्तीफा देकर कन्हैया के कांग्रेस से जुड़ने को लेकर कार्यकर्ताओं के उत्साह को लगभग फीका कर दिया।
उन्होंने कहा कि महंगाई, बेरोजगारी, कृषि कानून को लेकर देशभर में किसान के प्रदर्शन आदि तमाम मुद्दों पर प्रश्न होने चाहिए। बीजेपी की तरफ आईना घुमाते हुए कन्हैया ने कहा कि अंतर्कलह की स्वाभाविकता सत्ता पक्ष में है - क्या अमित शाह और योगी के बीच सबकुछ ठीक है? नितिन गडकरी और प्रधानमंत्री मोदी जी साथ में क्यों नहीं दिखाई देते?
कन्हैया ने कहा कि वे तमाम मुद्दे जो विपक्ष को उठाने चाहिए, कांग्रेस उठा रही है। इसमें विचारात्मक सवाल से लेकर आम जीवन से संबंधित सवाल शामिल हैं। इसीलिए वे कांग्रेस में आए हैं। मैं भी उन्हें (मुद्दों को) उठाऊंगा। किसान का सवाल हो, नौजवान का सवाल हो, बेरोजगारी का सवाल हो, गरीबी का सवाल हो, या महिलाओं के मुद्दे.. हम सभी मुद्दे उठाएंगे।
कांग्रेस से जुड़ने के बाद अपनी पहली ही प्रेस वार्ता में कन्हैया ने कांग्रेस को बड़े जहाज की उपमा दी थी। इस जहाज को उबारने और किनारे पर लाने के सवाल पर कन्हैया ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का होना, देश में लोकतंत्र की विरासत का होना है.. कांग्रेस परिवार एक बहुत बड़ा परिवार है, लेकिन ये वो संघ परिवार नहीं जो परिवार छोड़ने को कहे।
सीपीआई की बेगूसराय में मजबूत स्तिथि के बावजूद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में कन्हैया बेगूसराय से करीब साढ़े चार लाख वोटों के भारी अंतर से हार गए थे। आगामी चुनाव मैदान में उतरने के सवाल पर कन्हैया ने कहा कि चुनाव मुख्यधारा की राजनीति का एक पक्ष होता है, मगर एकमात्र पक्ष नहीं होता। चुनाव अभी उनकी प्राथमिकता नहीं है। उन्होंने अपनी प्राथमिकता जनसाधारण के मुद्दों को चर्चा के केंद्र में लाना बताया। पहले आम लोगों के मुद्दों पर संघर्ष करना जरूरी है।
बहरहाल पूरे संवाद के दौरान कन्हैया कांग्रेस की प्रशंसा करते ही दिखे।
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