कृषि कानूनों की वापसी से जुड़े विधेयक पर चर्चा के जरिए संसद में विरोधी दलों को घेरेगी सरकार
कृषि कानूनों की वापसी से जुड़े विधेयक पर चर्चा के जरिए संसद में विरोधी दलों को घेरेगी सरकार
नई दिल्ली:
कृषि से जुड़े तीनों कानूनों की वापसी के सरकार के फैसले को भले ही विरोधी दल सरकार की हार बताती नजर आ रही हो लेकिन सरकार सदन के पटल पर इस पर विस्तृत चर्चा करवा कर विरोधी दलों के दोहरे स्टैंड को बेनकाब करने की रणनीति पर काम कर रही है।आईएएनएस से बात करते हुए एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि ये तीनों कृषि कानून किसानों के कल्याण के लिए लाए गए थे और इन मुद्दों पर पिछली कई सरकारों के कार्यकालों में भी विस्तार से चर्चा हुई थी। उन्होने दावा किया कि पिछली सरकारें भी कृषि क्षेत्र के सुधारों से जुड़े इन ऐतिहासिक कानूनों को लाना चाहती थी लेकिन वो हिम्मत नहीं जुटा पाई।
आईएएनएस से बात करते हुए उन्होने कहा कि मजबूत इरादों वाली मोदी सरकार देश के किसानों खासकर 80 प्रतिशत छोटे किसानों के कल्याण के लिए यह कानून लेकर आई थी, लेकिन विरोधी दलों ने सिर्फ राजनीतिक मकसद से इसका विरोध किया और देश का माहौल खराब करने की कोशिश की। इसलिए ऐसे दोहरे स्टैंड वाले राजनीतिक दलों का सच जनता के सामने लाना जरूरी है।
इसलिए सरकार यह चाहती है कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी से जुड़े विधेयक, कृषि कानून निरस्त विधेयक 2021 पर सदन में विस्तृत चर्चा हो ताकि सदन के माध्यम से पूरे देश में एक राजनीतिक संदेश दिया जा सके। सरकार ने अपने कई वरिष्ठ नेताओं और सांसदों को इसे लेकर तैयारी करने को कहा है कि विरोधी दलों द्वारा शासित राज्यों में इस मसले से जुड़ा किस तरह का नियम या कानून लागू है ? विरोधी दलों द्वारा शासित राज्यों में किसानों और खेती की क्या हालत है ? और कृषि सुधारों को लेकर विरोधी राजनीतिक दलों का अतीत में क्या स्टैंड रहा है ?
बताया जा रहा है कि सरकार इन तीनों कृषि कानूनों की वापसी से जुड़े विधेयक- कृषि कानून निरस्त विधेयक 2021 को शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही सदन में पेश कर सकती है। भाजपा ने अपने सभी राज्य सभा सांसदों को पहले ही तीन लाइन का व्हिप जारी कर, 29 नवंबर को सदन में मौजूद रहने को भी कहा है। व्हिप में यह कहा गया है कि , सोमवार को सदन में महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा होगी और इसे सदन से पारित भी कराया जाएगा। इसलिए पार्टी के सभी सांसदों को सारे दिन अनिवार्य रूप से पूरे समय सदन में उपस्थित रहकर सरकार के पक्ष का समर्थन करना है।
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