दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के उन सरकारी शिक्षकों से संवाद किया है जो फिनलैंड, सिंगापुर और कैंब्रिज जाकर ट्रेनिंग ले चुके हैं। रविवार को इस संवाद के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा, मैं चाहता हूं कि मेरे टीचर्स और प्रिंसिपल विदेश जाएं, मेरे विदेश जाने क्या होगा। हम अपने टीचर्स को पूरी दुनिया का अनुभव देना चाहते हैं।
सीएम ने कहा, हमारे देश में हमेशा से एक सामंतवादी सोच चली आ रही है कि सरकारी स्कूलों में तो गरीबों के बच्चे पढ़ते हैं। गरीबों के बच्चों को पढ़ाने वाले बच्चों के टीचर्स को विदेश भेजने की क्या जरूरत है।
फिनलैंड, सिंगापुर और कैम्ब्रिज में ट्रेनिंग के लिए अब तक 1409 प्रिंसिपल, टीचर और टीचर एजुकेटर्स जा चुके हैं। फिनलैंड में कुल 59 स्कूलों के प्रमुख और एससीईआरटी के शिक्षक ट्रेनिंग के लिए गए थे। यह टीचर्स फिनलैंड की जैवस्काइला विश्वविद्यालय में ट्रेनिंग ली।
दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों के 939 मेंटर टीचर्स और टीडीसी को ट्रेनिंग पर भेजा। ये टीचर्स सिंगापुर के एनआईई में ट्रेनिंग ले चुके हैं।
इसके बाद दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों के 411 प्रमुखों को यूके के कैंब्रिज में ट्रेनिंग के लिए भेजा। इस स्कूल प्रमुखों को जज बिजनेस स्कूल में ट्रेनिंग दी गई।
टीचर्स के अनुभवों पर सीएम केजरीवाल ने कहा, जब आप वहां जाकर ट्रीनिटी की लैब देखते हैं, न्यूटन ने जिस पेड़ से सेव गिरा, उस पेड़ को देखते हैं, स्टीफन हॉकिंग का कॉलेज देखते हैं, तो वो जिंदगी भर का अनुभव होता है। सेमिनार के जरिए उसका अनुभव नहीं किया जा सकता। सेमिनार में ज्ञान तो मिलता है, लेकिन अनुभव नहीं मिलता है। अनुभव और ज्ञान में बहुत फर्क है। कान से सुना हुआ ज्ञान तो कुछ घंटे या दिन तक रहता है, लेकिन उसके बाद वो खत्म हो जाता है। फिनलैंड, कैंब्रिज या सिंगापुर जाकर जो अनुभव मिलता है, वो जिंदगीभर साथ रहता है।
उन्होंने कहा, हमें अब दिल्ली के सरकारी स्कूलों की स्पर्धा देश के स्कूलों से नहीं करनी है, बल्कि दुनिया के स्कूलों से करनी है। यह हमारा सपना है। एक समय था, जब हम चाहते थे कि दिल्ली के सरकारी स्कूल, दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों से अच्छे बने, वो बन गए। पिछले तीन-चार साल में करीब चार लाख बच्चों ने प्राइवेट स्कूल से अपने नाम कटवा कर सरकारी स्कूलों में नाम लिखवाए हैं।
सीएम ने कहा, पिछले कुछ वर्षो में दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में जबरदस्त सुधार हुआ है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि सबकुछ अच्छा हो गया है। अभी बहुत कुछ हासिल करना बाकी है। इसके लिए हम लोग अब चल पड़े हैं, ये सब मानते हैं। हमारे आलोचक भी मानते हैं कि दिल्ली के अंदर शिक्षा के क्षेत्र में एक जबरदस्त बदलाव आ रहा है। यह बदलाव हमने नहीं, बल्कि टीचर्स, प्रिसिंपिल्स, बच्चों और उनके पैरेंट्स ने किया है। यह दिल्ली के दो करोड़ लोगों की उपलब्धि है।
सीएम ने कहा कि आजकल हमारे देश में एक अजीब प्रवृत्ति है कि कोई भी अच्छा काम करे, तो चार लोग उसकी टांग खींचने वाले होते हैं। उनमें इतनी जलन पैदा होती है कि सारे जल-भुनकर राख हो जाते हैं कि यह अच्छा काम है, इसको रोको। वो ये नहीं सोचते हैं कि ये अच्छा काम कर रहा है, तो मैं भी इससे अच्छा काम करूं।
सीएम केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के अभी तक करीब 1400 टीचर्स और प्रिंसिपल विदेशों में ट्रेनिंग करने के लिए जा चुके हैं। हमने उन्हें दुनिया की सबसे अच्छी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट कैंब्रिज, सिंगापुर, फिनलैंड में ट्रेनिंग के लिए भेजा। इसके अलावा, हमने आईआईएम के अंदर भी अपने टीचर्स की ट्रेनिंग कराई है। दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में जो इतनी बड़ी क्रांति और सुधार हुआ है, उसमें टीचर्स की ट्रेनिंग ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।
इस दौरान दिल्ली सरकार के एक शिक्षक डॉ. राजपाल सिंह ने कहा, कैंब्रिज दौरे के दौरान मुझे पहली बार ब्लेंडेड एप्रोच ऑफ लर्निग के बारे में पता चला। मैं यह देखने के लिए बहुत उत्सुक था कि कैसे टेक्नोलॉजी क्लास रूम को बदल रही है।
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Source : IANS