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मप्र में सियासी दलों में ओबीसी आरक्षण को लेकर खिंची तलवार

मप्र में सियासी दलों में ओबीसी आरक्षण को लेकर खिंची तलवार

Updated on: 02 Sep 2021, 07:05 PM

भोपाल:

मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढ़ाए जाने के मामले में सत्ताधारी दल भाजपा और विरोधी दल कांग्रेस आमने सामने हैं। दोनों ही दल एक दूसरे को पिछड़ा वर्ग विरोधी बताकर खुद को इस वर्ग का सबसे बड़ा हितैषी बताने में लगे हैं, क्योंकि चिंता जो चुनाव में वोट की है।

ज्ञात हो कि कमलनाथ सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी करने का फैसला किया था, इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका दायर हुई, जिसके आधार पर उच्च न्यायालय ने आरक्षण बढ़ाने पर रोक लगा दी गई थी। तब से पहले की तरह 14 प्रतिशत आरक्षण जारी है।

आने वाले समय में राज्य में उप-चुनाव व नगरीय निकाय तथा पंचायतों के चुनाव होने वाले हैं। इसी के चलते एक बार फिर ने पिछड़ों के आरक्षण के मामले को हवा दी जाने लगी है। भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर हमला कर पिछड़ा वर्ग विरोधी बता रही है।

कमल नाथ का आरोप है कि हमारी सरकार ने ओबीसी वर्ग के उत्थान के लिये प्रदेश में आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया था। इसको लेकर न्यायालय में कुछ याचिकाएं लगी थीं, उन पर ही अंतरिम आदेश दिया गया था, बाकी जगह इस पर कोई रोक नहीं थी, लेकिन इस आदेश पर दिये एक गलत अभिमत के आधार पर अन्य सारे विभागों में नियुक्तियों में रोक लगाकर शिवराज सरकार द्वारा पिछड़े वर्ग को उनके हक से निरंतर वंचित किया जा रहा था, निरंतर झूठ परोसा जा रहा था, हम उसी का विरोध कर रहे थे।

कांग्रेस की ओर से आरक्षण के पक्ष में प्रमुख वकीलों को न्यायालय में खड़ा करने की तैयारी है। वहीं पार्टी की ओर से कहा गया है कि बीजेपी और शिवराज सरकार 27 फीसदी आरक्षण के नाम पर पिछड़े वर्ग की आंखों में धूल झोंक रही है, ऐसे में कांग्रेस ने पिछड़ा के हक की लड़ाई पूरी मजबूती से लड़ने का फैसला लिया है।

वहीं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि कांग्रेस को जब पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए काम करना था, तब उसने कुछ नहीं किया। कमलनाथ जब मुख्यमंत्री थे, तब तो उन्होंने न्यायालय में अपने एडवोकेट जनरल को भेजा नहीं और न ही अदालत में कैविएट दायर की। अब कह रहे हैं कि पिछड़ों के लिए बड़ा वकील करेंगे। कांग्रेस को अब कोई वकील करने की जरूरत नहीं है, जो भी करना होगा हम कर रहे हैं।

शर्मा ने कहा कि अब प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध कराने को प्रतिबद्ध है।

राज्य सरकार के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने ओबीसी के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है। यही कारण है कि, ओबीसी को अब तक 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिल पाया है। कांग्रेस पार्टी विधानसभा में जो विधेयक लेकर आई थी, उसमें लिखा है, कि मप्र में अन्य पिछड़ा की जनसंख्या कुल 27 प्रतिषत है, जबकि मप्र में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 51 प्रतिशत है। कांग्रेस ने विधानसभा में ही गलत विधेयक पेश किया और न्यायालय में गलत जानकारी दी। इसके कारण से ही ओबीसी आरक्षण पर स्टे हुआ था। इतना ही नहीं स्टे के समय भी उस समय सरकार के एडवोकेट जनरल कोर्ट में पेश नहीं हुए।

उच्च न्यायालय जबलपुर में अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत से 27 प्रतिशत आरक्षण के जाने के मामले पर एक सितंबर को सुनवाई हुई और अब अगली सुनवाई 20 सितंबर को होने वाली है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.