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अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों के खिलाफ अखिल भारतीय विरोध प्रदर्शन

अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों के खिलाफ अखिल भारतीय विरोध प्रदर्शन

Updated on: 16 Nov 2021, 12:30 AM

नई दिल्ली:

भारतीय मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआईएम) ने ईसाइयों और मुसलमानों पर कथित तौर पर बढ़ते हमले पर चिंता जाहिर की है। इसको लेकर सीपीआईएम ने केंद्र सरकार के खिलाफ 1 दिसंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।

सीपीआईएम पोलित ब्यूरो ने संघ परिवार से जुड़े संगठनों द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों खास तौर पर ईसाई और मुस्लिम धर्म से जुड़े लोगों के खिलाफ बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की है।

सीपीआईएम ने दावा किया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म - फेसबुक के आंतरिक दस्तावेजों में हालिया एक्सपोजर यह भी रेखांकित करते हैं कि कैसे बीजेपी नेताओं ने कई मामलों में हिंसा को भड़काते हुए अत्यधिक सांप्रदायिक संदेश को बढ़ावा दिया है। इस तरह की सांप्रदायिक गतिविधियों के अपराधियों को न केवल कानून से छूट मिलती है, बल्कि पीड़ितों की रक्षा करने के बजाय, कई भाजपा शासित राज्यों में प्रशासन पीड़ितों और उनका समर्थन करने वालों को झूठे मामलों और कठोर धाराओं के तहत गिरफ्तारियों के साथ दंडित करता है। इस तरह से ईसाइयों और मुसलमानों पर बढ़ते हमले गंभीर चिंता का विषय है।

पूर्व सांसद और सीपीआई नेता सीताराम येचुरी ने दावा किया है कि बीजेपी शासित सरकार पीड़ितों को बचाने के बजाय उनके खिलाफ विशेष मामले दर्ज करा रही हैं। ये हमले भारत के संविधान पर हमला हैं। उन्होंने कहा कि इस मसले पर सीपीआईएम 1 दिसंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेगी।

पार्टी के अनुसार मानवाधिकार समूहों की हालिया रिपोटरें ने 2021 में पहले नौ महीनों के भीतर ईसाई समुदायों और उनके धार्मिक पूजा स्थलों पर 300 हमले दर्ज किए हैं। पीड़ितों में से कई आदिवासी और दलित समुदायों से संबंधित हैं। प्रार्थना सभाओं को नियमित रूप से रोका जा रहा है और धर्मांतरण रोकने के नाम पर प्रतिभागियों को पीटा जा रहा है।

मुस्लिम अल्पसंख्यकों के सदस्यों को निशाना बनाया जाता है और उनके खिलाफ गोरक्षा और लव जिहाद के नाम पर लिंचिंग, पुलिस हत्याओं, झूठी गिरफ्तारी और भीड़ द्वारा हिंसा के मामले जारी हैं।

सीपीआईएम के अनुसार ताजा उदाहरण त्रिपुरा में है, जहां विहिप के गुंडों ने अल्पसंख्यक समुदायों पर हमला किया, जिसमें कुछ मस्जिदों में तोड़फोड़ भी शामिल थी। इन हमलों की रिपोर्ट करने वालों पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है। एक अन्य उदाहरण प्रार्थना करने के अधिकार की रोकथाम है, जिसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के हिस्से गुड़गांव में बंद कर दिया गया है। मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में मुस्लिम रेहड़ी-पटरी वालों को धमकी दी गई है और उन्हें अपनी आजीविका चलाने से रोक दिया गया है। असम में, दशकों से भूमि पर खेती करने वाले गरीब किसान परिवारों को केवल इसलिए बेरहमी से बेदखल किया गया, क्योंकि वे मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं। उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के खिलाफ नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एनएसए) का इस्तेमाल आम बात हो गई है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.