भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने सोमवार को कहा कि नैरेटिव की लड़ाई, लंबे समय तक चलने वाले और पारंपरिक युद्ध, पुनर्गठन और नए गठबंधन कुछ ऐसे सबक हैं, जो भारतीय सेना ने रूस-यूक्रेन युद्ध से सीखे हैं।
यह कहते हुए कि रूस-यूक्रेन युद्ध भारतीय सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण सबक है, पांडे ने कहा कि तत्काल प्रभाव कुछ रक्षा स्पेयर पार्ट्स और गोला-बारूद की आपूर्ति को लेकर है। हालांकि, उन्होंने कहा कि भारतीय सेना के पास ऐसे उपकरण और गोला-बारूद का पर्याप्त भंडारण है।
सैन्य प्रमुख ने कहा, रूस-यूक्रेन युद्ध से हमने अहम सबक लिए हैं। सबसे पहले ये कि कनवेंशनल वॉर की प्रासंगिकता अभी भी है। हम देख रहे हैं कि अलग अलग प्लेटफॉर्म जैसे आर्टिलरी गन, एयर डिफेंस गन, रॉकेट्स, मिसाइल और टैंक इस युद्ध में अलग अलग तरीके से तैनात किए गए हैं।
पांडे ने कहा, दूसरा सबक यह है कि युद्ध जरूरी नहीं कि छोटा हो, यह रूस-यूक्रेन संघर्ष की तरह लंबा हो सकता है।
सेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय सेना के लिए एक और सबक आयुध, उपकरण और हथियारों के मामले में आत्मनिर्भर होना है।
उन्होंने कहा, हम रूस और यूक्रेन पर वायु रक्षा प्रणाली, टैंक और अन्य जैसे कुछ हथियार प्रणालियों पर निर्भर हैं।
उन्होंने कहा कि सेना को आत्मनिर्भरता बढ़ाने और अन्य देशों पर निर्भरता कम करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, हमने मेक इन इंडिया पहल को ध्यान में रखते हुए पहले ही काम शुरू कर दिया है।
सेना प्रमुख ने कहा कि भारत पर रूस-यूक्रेन युद्ध का तत्काल प्रभाव एक निश्चित सीमा तक स्पेयर पार्ट्स और गोला-बारूद की आपूर्ति है। हालांकि, भारतीय सेना के पास पर्याप्त भंडारण है।
पांडे ने कहा कि भारत अन्य मित्र देशों से इन वस्तुओं के वैकल्पिक स्रोतों की भी तलाश कर रहा है।
सेना प्रमुख के अनुसार, एक और महत्वपूर्ण पहलू जो बलों ने सीखा है, वह है साइबर और सूचना क्षेत्र में गैर-लड़ाकू युद्ध।
रूस-यूक्रेन युद्ध में, विरोधियों पर लाभ हासिल करने के लिए नैरेटिव की लड़ाई का उपयोग किया जा रहा है।
भू-राजनीतिक स्थिति में बदलाव के बारे में बात करते हुए, पांडे ने कहा कि बल पुनर्गठन और नए गठबंधन के संदर्भ में स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है।
उन्होंने कहा, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारा ध्यान अफगानिस्तान और हिंद-प्रशांत क्षेत्रों से न भटके। हम राष्ट्रीय स्तर पर स्थिति की निगरानी करते रहते हैं।
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Source : IANS