भूपेश बघेल खुद बनाएंगे अपनी सरकार का रिपोर्ट कार्ड!
भूपेश बघेल खुद बनाएंगे अपनी सरकार का रिपोर्ट कार्ड!
रायपुर:
किसी भी राजनीतिक दल की सत्ता की सफलता में बड़ा योगदान राजनीतिक स्थिरता और प्रशासनिक मशीनरी के कामकाज का होता है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी इसे बेहतर तरीके से जानते हैं। यही कारण है कि उन्होंने राज्य के 90 विधानसभा क्षेत्रों के ढाई सौ से ज्यादा गांवों तक दस्तक देने का मन बनाया है। इस कोशिश के जरिए जहां वे जमीनी हालात को समझेंगे, वहीं सियासी व सरकारी मशीनरी की नब्ज को भी टटोल लेंगे। यह बघेल का अपनी सरकार का रिपोर्ट कार्ड बनाने का नया अंदाज है।छत्तीसगढ़ के राज्य बनने के बाद हुए चार चुनावों में पहली बार कांग्रेस को बहुमत मिला और सत्ता में आई। जब राज्य बना था तब बहुमत के आधार पर कांग्रेस को सत्ता जरुर मिली थी, उसके बाद डेढ़ दशक तक भाजपा का शासन रहा। वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस बड़ी जीत हासिल कर सत्ता पर काबिज हुई। भूपेश बघेल के नेतृत्व में सरकार को लगभग साढ़े तीन साल होने को है। आखिर इस अवधि में जनता के मन और मस्तिष्क में सरकार को लेकर क्या तस्वीर उभरी है इसे भी पढ़ने और जानने की जिज्ञासा मुख्यमंत्री में होगी।
भूपेश बघेल, जमीनी स्तर पर लोग सरकार का आकलन किस तरह कर रहे हैं, इसकी वास्तविकता जानने के लिए चार मई से प्रदेश में एक नए अभियान की शुरूआत कर रहे हैं। इस अभियान के तहत वे सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में दौरा करेंगे और प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के तीन-तीन गांव तक पहुंचेंगे। इतना ही नहीं एक गांव में रात गुजारने का भी उनका कार्यक्रम है।
भूपेश बघेल 90 विधानसभा क्षेत्रों के लगभग 270 गांव तक उपस्थिति दर्ज कराएंगे और 90 गांव में रात में विश्राम करेंगे। इस दौरान उनका आमजन से सीधे संवाद भी होगा तो वे नागरिकों के लिए उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं, सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन और उस इलाके में चल रहे शासकीय कामों का भी जायजा लेंगे। इसके अलावा मुख्यमंत्री संबंधित इलाकों के ग्रामीणों के साथ प्रमुख व्यक्तियों और जनप्रतिनिधियों से सीधे संवाद करेंगे और उनका फीडबैक भी लेंगे। इतना ही नहीं उनसे आवश्यक सुझाव और राय भी लेंगे। कुल मिलाकर देखें तो भूपेश बघेल अपनी सरकार के साढ़े तीन साल के रिपोर्ट कार्ड को बनाने खुद गांव में जा रहे हैं।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि अपने सियासी विरोधियों के साथ ही अपने दल के जनप्रतिनिधियों की वास्तविक स्थिति के आकलन का इससे बेहतर दूसरा कोई तरीका नहीं हो सकता। वहीं सरकारी मशीनरी पर भी नकेल कसने का बेहतर तरीका है। जब मुख्यमंत्री प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों के तीन-तीन गांव में पहुंचेंगे तो जनता में तो भरोसा पैदा होगा ही साथ में सरकारी मशीनरी के अंदर भी एक डर पैदा होगा। ऐसा होने पर सरकार की योजनाओं का लाभ बेहतर तरीके से लोगों को मिलेगा, साथ में अब तक हुई गड़बड़ियां भी सामने आएंगी। इससे सरकार को आने वाले डेढ़ साल में किस तरह से योजनाओं में बदलाव करना चाहिए और प्रशासनिक तौर पर कितने बदलाव की जरूरत है, इसकी रणनीति बनाने में आसानी होगी।
आमतौर पर सत्ता प्रमुख दौरे, सभाओं, जनसंपर्क और बैठकों तक ही सिमट कर रह जाते हैं। जब भी किसी राजनेता ने जनता के बीच पहुंचने की कोशिश की तो उसका वास्तविकता से सामना हुआ है। भूपेश बघेल भी उन्हीं हालातों से सामना करने के मकसद से यह अभियान शुरू कर रहे हैं। इस अभियान के शुरू होने से पहले ही एक तरफ सियासत से जुड़े लोगों में बेचैनी है तो प्रशासनिक अमले में भी खलबली। अब देखना होगा कि आने वाले समय में इस अभियान का कितना असर नजर आता है।
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