सरकार ड्रग तस्करी को रोकने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। मगर सबसे बड़ी चिंता की बात है कि तस्कर अब इसके लिए डार्क नेट और क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल कर रहे हैं। हाल के वर्षों में इस तरह के मामलों में बढ़ोत्तरी देखी गई है। गृह मंत्रालय ने बताया कि पिछले कुछ सालों में ड्रग तस्करी के लिए डार्क नेट और क्रिप्टो करेंसी के उपयोग के करीब 38 मामले एनसीबी के सामने आए हैं।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि पिछले 3 वर्षों यानी 2020-2022 में स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा 38 मामलों में मादक पदार्थों की तस्करी के लिए डार्क नेट और क्रिप्टो मुद्रा का उपयोग देखा गया है। दरअसल राय ने एक सांसद के सवाल का जवाब दिया जिसमें पूछा गया था कि प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग ने मादक पदार्थों के तस्करों को बढ़त दे दी है, जहां वे डार्क नेट पर ऑर्डर प्राप्त कर सकते हैं और क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से भुगतान का आदेश दे सकते हैं।
नित्यानंद राय ने ये भी बताया कि वर्ष 2019 में प्रकाशित सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2004 की सर्वेक्षण रिपोर्ट की तुलना में भारत में नशीले पदार्थों की खपत में भी वृद्धि हुई है, जो चिंता का विषय है।
गृह राज्यमंत्री ने कहा कि एनसीबी का उन्नयन करने के लिए विभिन्न उपाय भी किए जा रहे हैं। इसके तहत विभिन्न स्तरों पर 419 नए पद स्वीकृत किए गए हैं। अमृतसर, गुवाहाटी, चेन्नई और अहमदाबाद में 4 नए क्षेत्रीय कार्यालय स्वीकृत किए गए। वहीं गोरखपुर, न्यू जलपाईगुड़ी, अगरतला, पासीघाट/ लोवर सियांग और रायपुर में 5 नए जोनल कार्यालय स्वीकृत किए गए हैं। यही नहीं 12 मौजूदा उप-जोनों का जोनल स्तर पर उन्नयन किया गया है।
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Source : IANS