नई 'बाबरी मस्जिद' : इस्लामी मान्यता के कारण 2 महीने तक नहीं हो सकेगा काम!
मस्जिद के निर्माण की देखरेख के लिए बनाए गए ट्रस्ट इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) के आधिकारिक प्रवक्ता के अनुसार, ऐसा इसलिए है क्योंकि अब तक साइट पर फसलें खड़ी हैं.
नई दिल्ली:
अयोध्या के धन्नीपुर गांव में बनने वाली नई 'बाबरी मस्जिद' पर कम से कम दो महीने तक जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं होगा. मस्जिद के निर्माण की देखरेख के लिए बनाए गए ट्रस्ट इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) के आधिकारिक प्रवक्ता के अनुसार, ऐसा इसलिए है क्योंकि अब तक साइट पर फसलें खड़ी हैं. ट्रस्ट के सचिव और प्रवक्ता अतहर हुसैन ने आईएएनएस को बताया, जब तक खड़ी धान की फसल काटी नहीं जाती, तब तक जमीनी स्तर पर कुछ नहीं होगा. हरी खेती को अनावश्यक रूप से नुकसान पहुंचाना इस्लाम में हराम (निषिद्ध) है.
उन्होंने कहा, इससे पहले कि हम किसी निर्माण की योजना बनाएं, कम से कम दो महीने लग जाएंगे. तो ट्रस्ट क्या कर रहा है, यह देखते हुए कि अगले कुछ महीनों में कोई निर्माण शुरू नहीं हो सकता है. इस संबंध में अन्य काम हो रहे हैं. बैंक खाता खोलने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया है. इस बीच सोहावल तहसील, जिसके तहत धन्नीपुर गांव आता है, में स्थानीय अधिकारी मेड़बंदी (भूमि सीमांकन) का काम कर रहे हैं.
हुसैन ने कहा, इसके बाद हम वास्तुकार की अंतिम मंजूरी के लिए आगे बढ़ेंगे. उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें नहीं लगता कि काम की गति बहुत धीमी है, वहीं दूसरी ओर राम मंदिर के निर्माण के लिए श्री राम मंदिर तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट पहले ही भूमि पूजन कर चुका है, इस पर हुसैन ने कहा, हमारी गतिविधि और दूसरे ट्रस्ट के साथ हमारी गति की तुलना करना बहुत अनुचित है. हमें दो अगस्त को ही भूमि के कागजात सौंपे गए थे और पांच अगस्त को प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में भाग लिया था.
हुसैन का कहना है कि अब इस्लामी मान्यता के अनुसार, जो फसल उखाड़ने से परहेज करती है, इस प्रक्रिया में और देरी हुई है. उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अयोध्या जिले के धन्नीपुर गांव में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को जमीन आवंटित की है. मस्जिद बनाने के लिए भूमि आवंटित करने के संबंध में नौ नवंबर, 2019 को शीर्ष अदालत ने आदेश दिया था, जिसके अनुपालन में मस्जिद निर्माण के लिए भूमि दी गई है.
आईआईसीएफ, जो सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा बनाया गया है, ने आवंटित की गई जगह पर सार्वजनिक उपयोगिताओं वाले निर्माण का फैसला किया है, जिसमें अस्पताल, इस्लामी अनुसंधान केंद्र, सामुदायिक रसोईघर आदि शामिल है.
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