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नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने चुना राष्ट्रगान! आजाद हिंद सरकार ने पेश की पहली धुन

स्वदेश वापसी के बाद प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को बताया कि संयुक्त राष्ट्र में 'जन गन मन' बजाए जाने पर वहां मौजूद सबने जमकर तारीफ की.

Updated on: 26 Jan 2022, 11:37 AM

highlights

  • हैम्बर्ग, जर्मनी के रेडियो सिंफनी ऑर्केस्ट्रा ने गाया था 'जन गन मन'
  •  संयुक्त राष्ट्र में 'जन गन मन' बजाने पर सबने जमकर तारीफ की
  • देश भर में मनाई जा रही है नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जयंती

नई दिल्ली:

नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आजाद हिंद सरकार ने साल 1942 में देश के बाहर हमारे राष्ट्रगान की पहली धुन बजवाई थी. आजादी के समय 1947 से संविधान लागू होने यानी 26 जनवरी 1950 तक हमारा राष्ट्रगान तय नहीं था. साथ ही 'जन गन मन...' को राष्ट्रगान तय किए जाते समय देश के पास यह इकलौता विकल्प ही था. एकमात्र यही धुन हमारे पास उपलब्ध थी. नेताजी सुभाषचंद्र बोस पर कई किताबें लिखने वाले इतिहास के जानकार अनुज धर गणतंत्र दिवस के मौके पर बुधवार को ट्वीट कर बहस के लिए कई दिलचस्प तथ्य सामने रखे. 

अपने ट्वीट में ऐतिहासिक वाकए का जिक्र करते हुए धर ने हैम्बर्ग, जर्मनी के रेडियो सिंफनी ऑर्केस्ट्रा की ओर से गाए गए 'जन गन मन' की मूल रिकॉर्डिंग को भी शेयर किया है. उन्होंने साल 1942 में हुए इस पहली प्रस्तुति को अपने राष्ट्रगान का जन्म करार दिया है. उन्होंने कहा कि सिंगापुर में आजाद हिंद सरकार की ओर पेश इस धुन को फ्री इंडिया सेंटर के सदस्य एनजी गणपुले ने रिकॉर्ड किया था. उनके निधन के बाद यह टेप ऑल इंडिया रेडियो को सौंपा गया था. रेडियो ने साल 1980 में National Anthem born in Exile नाम के प्रोग्राम में प्रसारित किया था.

UNGA में 1950 में 'जन गन मन' की धुन

अनुज धर ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस के पड़पोते सूर्य बोस के हवाले से बताया कि जनवरी, 1950 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की न्यूयार्क में हुई बैठक में गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल में एक सदस्य 'जन गन मन' की वह सिंगापुर में गाई गई धुन की रिकॉर्डिंग लेकर गए गए थे. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की ऑर्केस्ट्रा को रिकॉर्डिंग दी. स्वदेश वापसी के बाद प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को बताया कि संयुक्त राष्ट्र में 'जन गन मन' बजाए जाने पर वहां मौजूद सबने जमकर तारीफ की. 26 जनवरी की तारीख नजदीक आ रही थी और तब तक कोई वैकल्पिक राष्ट्रगान नहीं मिला था.

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इंडिया गेट पर लगी नेताजी की आदमकद प्रतिमा

हाल ही में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जयंती पर राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट पर उनकी आदमकद होलोग्राम प्रतिमा लगाने और हर साल 23 जनवरी से ही गणतंत्र दिवस के सप्ताह भर चलने वाले आयोजनों की शुरुआत से जुड़े केंद्र के फैसले के बाद देश भर में यहां चर्चा का विषय बना हुआ है. कई बहसों में नेताजी को पहला प्रधानमंत्री तक करार दिया जाने लगा है. वहीं अंदमान में उनकी ओर से राष्ट्रध्वज फहराने की याद में भी समारोह मनाया जाने लगा है. ऐसे में इन नए ऐतिहासिक तथ्यों के सामने आने से राष्ट्रगान और नेताजी के संबंधों को लेकर दावे और बहसों की शुरुआत हो सकती है.

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कौन हैं अनुज धर

लेखक और पूर्व पत्रकार अनुज धर ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस के निधन के बारे में कई चर्चित किताबें लिखी हैं. उनकी किताबें कथित विमान दुर्घटना के बाद कई वर्षों तक नेताजी के जीवन जीने के बारे में सिद्धांतों को प्रतिपादित करती हैं. साथ ही इस बारे में मौजूदा आम सहमति का खंडन करती हैं. अनुज धर मिशन नेताजी नाम से एक संगठन चलाते हैं. इसके अलावा अलग-अलग समय नेताजी से जुड़े नए बहसों को आम लोगों के बीच लेकर आते रहते हैं.