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नेताजी के वंशज ने मोदी को लिखा पत्र, विक्टोरिया मेमोरियल का नाम बदलने की मांग

बोस की वंशज ने कहा, नेताजी पर केवल समितियों के गठन या उनकी प्रतिमाओं पर माला चढ़ाने से मदद नहीं मिलेगी. अगर हम वास्तव में अपने स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करना चाहते हैं, तो हमें अपने देश के इतिहास से गुलामी को पूरी तरह से हटाना होगा.

Updated on: 22 Jan 2021, 12:11 AM

कोलकाता:

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती धूमधाम से मनाने के लिए तैयारी की जा रही है. इस बीच अखिल भारत हिंदू महासभा (एबीएचएम) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोलकाता के प्रतिष्ठित विक्टोरिया मेमोरियल का नाम बदलकर 'स्वंतत्रता सेनानी स्मारक' रखने की मांग की है. एबीएचएम ने भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले सभी स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में स्मारक का नाम बदलने की अपील की है. बोस की परपौत्री (भांजी, बहन की नातिन) और एबीएचएम की राष्ट्रीय अध्यक्ष राज्यश्री चौधरी ने आईएएनएस से कहा, देश के लिए अपना बलिदान देने वाले सभी स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में विक्टोरिया मेमोरियल को 'स्वंत्रता सेनानी स्मारक' घोषित किया जाना चाहिए. हमें ²श्य इतिहास से गुलामी के इस चिह्न् को हटाना चाहिए.

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उन्होंने कहा कि इस संबंध में 10 जनवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भेजा गया था. उन्होंने कहा कि बंगाल प्रांत के सभी शहीदों की याद में कोलकाता में एक भव्य संगमरमर की संरचना को समर्पित किया जाना चाहिए. उनके कहने का मतलब है कि अविभाजित बंगाल, बिहार, ओड़िशा और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के सभी शहीदों की याद में इसे समर्पित किया जाना चाहिए, जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ और भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी.

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चौधरी ने कहा, इसके अलावा, हमने कोलकाता के फोर्ट विलियम का नाम बदलने की भी मांग की है, जो अब भारत के पहले सैन्य प्रमुख और मुक्त भारत सरकार के सुप्रीम कमांडर के रूप में नेताजी सुभाष चंद्र बोस किले के रूप में पूर्वी कमान का मुख्यालय है. चौधरी ने कहा कि यही वह समय है, जब भारतीय सेना को भी भारतीय राष्ट्रीय सेना का नाम दिया जाना चाहिए. पूर्वी कमान, भारतीय सेना की एक परिचालन कमान (ऑपरेशनल कमांड) है, जिसका कोलकाता शहर में फोर्ट विलियम में मुख्यालय है. इस कमान का क्षेत्र बंगाल से लेकर सिक्किम तक और पूरे पूर्वोत्तर में फैला हुआ है.

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बोस की वंशज ने कहा, नेताजी पर केवल समितियों के गठन या उनकी प्रतिमाओं पर माला चढ़ाने से मदद नहीं मिलेगी. अगर हम वास्तव में अपने स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करना चाहते हैं, तो हमें अपने देश के इतिहास से गुलामी को पूरी तरह से हटाना होगा. बोस का फोर्ट विलियम के साथ 89 बंगाल रेजिमेंट के हिस्से के रूप में मजबूत संबंध रहा है, जब वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के तहत स्कॉटिश चर्च कॉलेज में दर्शन (फिलॉस्पी) के तीसरे वर्ष के छात्र थे. वह उस समय विश्वविद्यालय कैडेट कोर के प्रशिक्षु सदस्य थे.