जानें क्यों कहा जाता था न खाता न बही जो कहे पी चिदंबरम वही सही

कभी कांग्रेस में पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम की तूली बोलती थी, लेकिन आज सीबीआई के चंगुल में फंस गए हैं.

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Deepak Pandey
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जानें क्यों कहा जाता था न खाता न बही जो कहे पी चिदंबरम वही सही

पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम (फाइल फोटो)

कभी कांग्रेस में पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम की तूली बोलती थी, लेकिन आज सीबीआई के चंगुल में फंस गए हैं. पी. चिदंबरम कांग्रेस के काफी वरिष्ठ और अनुभवी राजनेता हैं. पी. चिदंबरम अब तक 9 बार बजट पेश कर चुके हैं. वर्तमान में वह राज्यसभा से सांसद हैं. पहले ये कहा जाता है कि न खाता न बही जो कहे पी चिदंबरम वही सही. अर्थात, कांग्रेस में पी चिदंबरम बड़े पदों पर आशिन थे और उनकी खूब चलती थी.

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बता दें कि कांग्रेस के इतने बड़े दिग्गज नेता पी चिदंबरम आज आईएनएक्स मीडिया मामले (INX Media Case) में बुरी तरह फंस गए हैं. बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने पी चिदंबरम को गिरफ्तार होने की सलाह दी है. इसके बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. बता दें कि पी चिदंबरम अब तक 9 बार बजट पेश कर चुके हैं.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम पेशे से कॉरपोरेट वकील हैं. पी. चिदंबरम ने वर्ष 1972 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्यता ग्रहण की थी. वर्ष 1984 में तमिलनाडु के शिवगंगा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीतने के साथ पी. चिदंबरम सक्रिय राजनीति में आए. इस सीट से उन्होंने लगातार 6 बार तक जीत दर्ज की. साल 1986 में पी. चिदंबरम को लोक-शिकायत व पेंशन मंत्रालय के साथ कार्मिक मंत्रालय में भी मंत्री पद मिला था.

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लंबे राजनीतिक करियर में चिदंबरम वित्त और गृह जैसे अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं. साल 1986 के अक्टूबर में पी. चिदंबरम को केन्द्रीय गृह मंत्रालय में, आंतरिक सुरक्षा मंत्री का पदभार दिया गया. साल 1991 में पी. चिदंबरम को राज्य मंत्री के पद पर वाणिज्य मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभारी बनाया गया. वर्ष साल 1995 में वह दोबारा इस पद पर आसीन हुए.

वर्ष 2004 में मनमोहन सरकार के अंतर्गत दोबारा पी. चिदंबरम को वित्त-मंत्रालय सौंपा गया. इस पद पर वह 2008 तक रहे. साल 2008 में मुंबई आतंकी हमले के बाद तत्कालीन गृहमंत्री शिवराज पाटिल के इस्तीफा दिए जाने के बाद पी. चिदंबरम को गृहमंत्री बनाया गया. वर्ष 2012 में प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्हें फिर से वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई.

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