सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-सुपर स्पेशियलिटी (नीट-एसएस) 2021 पैटर्न में बदलाव पर केंद्र की खिंचाई करते हुए कहा कि देश में चिकित्सा शिक्षा और चिकित्सा नियमन एक व्यवसाय बन गया है और प्रतीत होता है कि सारी जल्दबाजी खाली सीटों को भरने के लिए है।
न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, हमें यह धारणा मिलती है कि चिकित्सा शिक्षा एक व्यवसाय बन गई है और चिकित्सा विनियमन भी एक व्यवसाय बन गया है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्न की पीठ ने कहा कि यह देश में चिकित्सा शिक्षा के लिए एक त्रासदी बन जाएगा।
पीठ ने केंद्र के वकील से कहा, यदि आपकी ओर से अभद्रता है, तो इसे रोकने के लिए कानून के हथियार काफी लंबे हैं।
पीठ ने कहा, आमतौर पर सरकारी कॉलेजों में सीटें खाली नहीं होती हैं, बल्कि यह हमेशा निजी कॉलेज होते हैं। हमारा अनुमान है कि सरकारी कॉलेजों में सीटें खाली नहीं पड़ी हैं। यह एक उचित अनुमान है। ऐसा प्रतीत होता है कि पूरी जल्दबाजी खाली सीटों को भरने के लिए है।
दो घंटे से अधिक लंबी सुनवाई में पीठ ने जोर देकर कहा कि छात्रों की रुचि संस्थानों और निजी संस्थानों की तुलना में कहीं अधिक है और इस परिदृश्य में संतुलन बनाने की जरूरत है।
पीठ ने कहा, अब सभी प्रश्न सामान्य चिकित्सा से हैं। क्या यह उन छात्रों को विशेषाधिकार देता है, जिन्होंने अन्य सभी फीडर विशिष्टताओं की कीमत पर सामान्य चिकित्सा की पढ़ाई की है?
पाठ्यक्रम में बदलाव के पहलू पर पीठ ने राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) के वकील से कहा, जल्दबाजी क्या थी? आपके पास परीक्षा पैटर्न है जो 2018 से 2020 तक चल रहा था..।
पीठ ने केंद्र से पुराने पाठ्यक्रम को बहाल करने और अगले साल से बदलाव लाने पर विचार करने को कहा और केंद्र के वकील को एक दिन का समय दिया।
केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और एनबीई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह पेश हुए। पीठ बुधवार को भी मामले की सुनवाई जारी रखेगी।
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने फैसला किया है कि 2021 के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा दो महीने की अवधि के लिए टाल दी जाए और 10-11 जनवरी, 2022 को आयोजित की जाए।
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Source : IANS