एआईएडीएमके के सांसद के कामराज ने नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) को अमीर छात्रों को मदद पहुंचाने वाला और गरीब छात्रों के उनके मौलिक अधिकारों को दबाने जैसा बताया।
नेशनल मेडिकल आयोग विधेयक, 2017 पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय पर संसद की स्टैंडिंग कमेटी को सौंपे रिपोर्ट में सांसद ने कहा कि नीट असंवैधानिक और राज्य के संघीय अधिकारों पर चोट पहुंचाने जैसा है।
कमेटी ने मंगलवार को संसद में यह रिपोर्ट सौंपी। इसमें कहा गया कि मेडिकल पेशेवर के बीच एकरूपता और ऐच्छिक मानकों को प्राप्त करने के लिए चिकित्सीय शिक्षा और प्रशिक्षण को मानकीकृत और सुधारना बहुत जरूरी है न कि मेडिकल संस्थानों में एडमिशन लेने के तरीके को बदला जाय।
उन्होंने कहा, 'मेडिकल संस्थानों से ग्रेजुएट छात्रों के लिए नेशनल लाइसेंसिएट एग्जामिनेशन (एनएलई) एक आदर्श समाधान होगा न कि नीट।'
कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि नेशनल मेडिकल कमीशन बिल में प्रस्तावित नेशनल लाइसेंसिएट एग्जामिनेशन छात्रों से अनावश्यक दवाब को हटाएगा, खासकर पिछड़े वर्ग के बच्चे जो प्राइवेट ट्यूशन नहीं ले सकते उनके लिए अच्छा है।
संसदीय पैनल ने भी एमबीबीएस परीक्षा के आखिरी साल के साथ एनएलई को जोड़ने की सिफारिश की है।
कामराज ने कहा कि नीट सिर्फ शहरी स्कूलों के अमीर बच्चों के लिए फायदेमंद है जो आसानी से ट्यूशन ले सकते हैं।
उन्होंने कहा, 'नीट ग्रामीण छात्रों के हितों और गरीब सामाजिक-आर्थिक वर्ग के छात्रों के खिलाफ है क्योंकि उनके पास प्राइवेट स्कूलों और शहर के महंगे प्राइवेट कोचिंग संस्थानों में पढ़ने की सुविधा है।'
एआईएडीएमके सांसद ने कहा कि तमिलनाडु सरकार लगातार नीट लागू कराने का विरोध करती रही है। उन्होंने कहा, 'मैं कमेटी से मांग करता हूं कि मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए नीट के फैसले पर एक बार फिर विचार करूंगा।'
बता दें कि मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए केंद्रीय माध्यमिक परीक्षा बोर्ड (सीबीएसई) नीट 2018 की परीक्षा इस साल देश भर में 6 मई को आयोजित की जाएगी।
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HIGHLIGHTS
- एआईएडीएमके सांसद ने NEET को गरीब छात्रों के विरुद्ध बताया
- तमिलनाडु सरकार लगातार नीट लागू कराने का विरोध करती रही है
- नीट 2018 की परीक्षा इस साल देश भर में 6 मई को आयोजित होगी
Source : News Nation Bureau