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कश्मीर के युवाओं को शिक्षित कर उन्हें बढ़ावा देने की जरूरत: सुप्रीम कोर्ट

कश्मीर के युवाओं को शिक्षित कर उन्हें बढ़ावा देने की जरूरत: सुप्रीम कोर्ट

Updated on: 25 Mar 2022, 05:25 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि कश्मीर के युवाओं को शिक्षित करके उन्हें बढ़ावा देना जरूरी है।

शीर्ष अदालत ने माना कि हर कोई अपनी युवावस्था में गलतियां करता है, मगर युवाओं को शिक्षित करके आगे बढ़ाना जरूरी है।

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र शासित प्रदेश सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए, जिसमें जम्मू-कश्मीर महिला विकास निगम को मुबशीर अशरफ भट को और ऋण किस्त जारी करने का निर्देश दिया गया था, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की पीठ ने कहा, हमें कश्मीर के युवाओं को शिक्षित करके उन्हें बढ़ावा देने की जरूरत है।

इसमें कहा गया है कि अगर वह उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हैं, तो इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

सुनवाई के दौरान जम्मू-कश्मीर की स्थायी वकील, अधिवक्ता तरुना प्रसाद ने तर्क दिया कि मामले की सुनवाई होनी चाहिए, क्योंकि इस मामले में विश्वास का उल्लंघन हुआ है। इस पर पीठ ने कहा कि भट ने गलती की होगी, लेकिन इस मामले में इसे नजरअंदाज किया जा सकता है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि मानते हैं कि उनकी ओर से एक गलती है, लेकिन हम सभी ने अपनी युवावस्था में गलतियां की हैं। अदालत ने नोट किया कि यदि अपील की अनुमति दी जाती है, तो इसका परिणाम कश्मीरी युवाओं के लिए उपलब्ध ऋण संसाधनों को रद्द करना हो सकता है और इस तरह से अदालत ने अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया।

प्रारंभ में, कॉर्पोरेशन ने भट के पक्ष में ऋण की पहली किस्त जारी की, हालांकि उसे निगम को सूचित किए बिना समुदाय आधारित मेडिकल कॉलेज, बांग्लादेश से ख्वाजा यूनुस अली मेडिकल कॉलेज, बांग्लादेश में अपना प्रवेश बदलने के लिए बाद की किस्त से वंचित कर दिया गया।

उच्च न्यायालय की एकल-न्यायाधीश पीठ ने भट के खिलाफ फैसला सुनाया था, लेकिन एक खंडपीठ ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया। केंद्र शासित प्रदेश ने इस आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।

कॉर्पोरेशन ने भट को जारी कर्ज की पहली किस्त लौटाने की मांग की थी और बाद की किस्त मंजूर करने से इनकार कर दिया था। भट ने इस फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया, जिसमें कहा गया था कि समुदाय आधारित मेडिकल कॉलेज में सीटों की अनुपलब्धता के कारण उसे अपना प्रवेश बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.