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मोहन भागवत बोले-भारत को लेकर चीन का रवैया नहीं बदला, जनसंख्या नीति पर विचार करने की जरूरत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) शुक्रवार को विजयदशमी उत्सव पर नागपुर मुख्यालय में अपना 96वां स्थापना दिवस मना रहा है. स्थापन दिवस पर आरएसस के नागपुर मुख्यालय में फहराया झंडा फहराया गया.

Updated on: 15 Oct 2021, 12:28 PM

highlights

  • RSS नागपुर मुख्यालय में अपना 96वां स्थापना दिवस मना रहा
  • आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने इस मौके पर संबोधित किया
  • भागवत ने कहा, जनसंख्या नीति पर फिर से विचार करने की जरूरत नहीं 

 

 


 

 

नागपुर:

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) शुक्रवार को विजयदशमी उत्सव पर नागपुर मुख्यालय में अपना 96वां स्थापना दिवस मना रहा है. स्थापन दिवस पर आरएसस के नागपुर मुख्यालय में फहराया झंडा फहराया गया. इस मौके पर आरएसस चीफ मोहन भागवत ने नागपुर मुख्यालय में की शस्त्र पूजा की. इस बार कोरोना महामारी को देखते हुए स्वयंसेवकों की संख्या कम रही. इससे पहले सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने डॉ. हेडगेवार और गुरुजी गोलवलकर के समाधि स्थल पर अपना सम्मान व्यक्त किया. इस मौके पर आरएसएस चीफ ने जनसंख्या नियंत्रण से लेकर चीन औऱ पाकिस्तान के रवैए पर अपना संबोधन दिया. इस मौके पर उन्होंने भेदरहित समाज की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने कहा कि सरकार को ओ.टी.टी. के लिए सामग्री नियामक ढांचा तैयार करने के प्रयास करने चाहिए. 

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देश में बिटकॉइन जैसी बढ़ती क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते चलन पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि बिटकॉइन पर किसी देश या नियम का नियंत्रण नहीं है. उन्होंने कहा कि देश और समाज के हित में इस तरह की चीजों पर नियंत्रण जरूरी है. इस विशेष मौके पर आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा कि स्वतंत्रता के लिए सभी ने संघर्ष किया. स्व के आधार पर देश को खड़ा करने की कोशिश की गई. उन्होंने कहा कि विभाजन का दर्द भूल नहीं सकते. विभाजन के वक्त की गलती दोहराना नहीं हैं. भागवन ने कहा कि भेदरहित समाज की जरूरत है.  उन्होंने अपने भाषण के दौरान कहा कि जातीय विषमता की समस्या बहुत पुरानी है. शत्रुता अलगाव की वजह से विभाजन पैदा हुआ. उन्होंन कहा कि समाज को जोड़ने वाली भाषा की जरूरत है. भेदरहित समाज की जरूरत, मंदिर, पानी और श्मशान एक हों.  

सामाजिक समरसता बनाने में जुटे हैं आरएसएस

भागवत ने कहा कि संघ के स्वयंसेवक सामाजिक समरसता बनाने में जुटे हैं. यह वर्ष श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज के प्रकाश का 400वां वर्ष है. डॉ. भागवत ने कहा कि विभिन्न जातियों, समुदायों और विभिन्न क्षेत्रों के कई स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वतंत्रता के लिए महान बलिदान और तपस्या की. समाज ने भी एक एकीकृत इकाई के रूप में गुलामी का दंश सहा है. भागवत ने कहा कि समाज की आत्मीयता व समता आधारित रचना चाहने वाले सभी को प्रयास करने पड़ेंगे. सामाजिक समरसता के वातावरण को निर्माण करने का कार्य संघ के स्वयंसेवक सामाजिक समरसता गतिविधियों के माध्यम से कर रहे हैं.

राम मंदिर हमारा, हमने इसे वापस लिया

मोहन भागवत ने कहा कि यह वर्ष विदेशी शासन से हमारी स्वतंत्रता का 75 वां वर्ष है. 15 अगस्त, 1947 स्वाधीनता से स्वतंत्रता तक की हमारी यात्रा का प्रारंभिक बिंदु था. डॉ. मोहनजी भागवत ने कहा कि यह वर्ष हमारी स्वाधीनता का 75वां वर्ष है. 15अगस्त 1947 को हम स्वाधीन हुए. हमने अपने देश के सूत्र देश को आगे चलाने के लिए स्वयं के हाथों में लिए. हमें यह स्वाधीनता रातों रात नहीं मिली. भागवत ने कहा कि देश में अराजकता पैदा करने की साजिश रची गई. छोटी घटनाओं को बड़ा करके बताया जा रहा है. ओटीटी पर कोई नियंत्रण नहीं है. राम मंदिर पर बोलते हुए भागवत ने कहा कि राम मंदिर हमारा है और हमने इसे वापस लिया. 

देश में असंतोष पैदा करने की साजिश हो रही

डॉ. भागवत ने कहा कि असंतोष पैदा करने की साजिश हो रही है. छोटी घटनाओं को बड़ा करके बताया जा रहा है. मोहन भागवत ने कहा कि सस्ती और सुलभ चिकित्सा की जरूरत है. साथ ही उन्होंने कहा कि पर्यावरण पर काम करने की जरूरत प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करना चाहिए. सार्वजनिक जगहों पर स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए.  भागवत ने कहा कि उन्होंने कहा कि सबके लिए समान नीति बननी चाहिए. उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण पर फिर से विचार की जरूरत है. घुसपैठियों को नागरिकता के अधिकार से दूर रखने की जरूरत है. घुसपैठ वाले इलाकों में जनसंख्या असंतुलन बढ़ा है. सीमा सुरक्षा को लेकर और सावधानी की जरूरत है. कश्मीर को लेकर भागवत ने कहा कि कश्मीर में 370 हटने से जनता को अच्छे लाभ मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान का तालिबान से गठबंधन है. भारत को लेकर चीन का रवैया नहीं बदला है. तालिबान का चरित्र सबको पता है. पाकिस्तान अब भी तालिबान के साथ है. 

COVID-19 की दूसरी लहर काफी विनाशकारी

COVID19 की दूसरी लहर पहली की तुलना में कहीं अधिक विनाशकारी थी. इसने युवाओं को भी नहीं बख्शा.  महामारी से उत्पन्न गंभीर स्वास्थ्य खतरों के बावजूद मानव जाति की सेवा में निस्वार्थ भाव से समर्पित नागरिकों के प्रयास प्रशंसनीय हैं. उन्होंने कहा कि महामारी के अपने अनुभवों से सीखना और प्रकृति के अनुकूल जीवन शैली को अपनाने का प्रयास करना बुद्धिमानी होगी. कोविड महामारी ने हमारी पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों की उपयोगिता और 'स्वार्थ' से निकलने वाली दृष्टि को सुदृढ़ किया है. हमने कोरोना वायरस से लड़ने और उससे निपटने में अपनी पारंपरिक जीवन शैली प्रथाओं और आयुर्वेदिक औषधीय प्रणाली की प्रभावकारिता का अनुभव किया. 

हर जाति-धर्म के लोगों ने स्वतंत्रता के लिए बलिदान दिया

विभिन्न जातियों, समुदायों और विभिन्न क्षेत्रों के कई स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वतंत्रता के लिए महान बलिदान और तपस्या की. इस वर्ष श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती है. उन्होंने हमारे "स्व" के आधार पर भारत के निर्माण पर विस्तार से लिखा. यह श्री धर्मपाल का शताब्दी वर्ष भी है. उन्होंने गांधीजी से संकेत लिया और अंग्रेजों के सामने भारत के इतिहास के साक्ष्य प्रस्तुत करने का काम किया है. महामारी की पृष्ठभूमि में, ऑनलाइन शिक्षा शुरू की गई थी. स्कूल जाने वाले बच्चे अब एक नियम के रूप में मोबाइल फोन से जुड़े हुए हैं. अपने मत, पंथ, जाति, भाषा, प्रान्त आदि छोटी पहचानों के संकुचित अहंकार को हमें भूलना होगा.  सर्वांगीण प्रयासों से हमारे समाज में भी एक नया आत्मविश्वास और हमारे 'स्वयं' का जागरण होता है. श्री राम जन्मभूमि मंदिर के लिए योगदान अभियान में जबरदस्त और भक्तिपूर्ण प्रतिक्रिया देखी गई जो इस जागृति का प्रमाण है. हमारे खिलाड़ियों ने टोक्यो ओलंपिक में 1 स्वर्ण, 2 रजत और 4 कांस्य पदक और देश के लिए पैरालिंपिक में 5 स्वर्ण, 8 रजत और 6 कांस्य पदक हासिल किए हैं. उनके समर्पित प्रयासों के लिए उन्हें बधाई दी जानी चाहिए.

हमारे भौगोलिक रूप से विशाल और घनी आबादी वाले देश में हमें स्वास्थ्य देखभाल की फिर से कल्पना करने की आवश्यकता होगी जो न केवल एक निवारक से बल्कि एक स्वस्थ दृष्टिकोण से भी है, जैसा कि आयुर्वेद के विज्ञान द्वारा प्रकाशित किया गया है. दशकों और सदियों से हिंदू धार्मिक स्थलों के अनन्य विनियोग, राज्य के 'धर्मनिरपेक्ष' होने के बावजूद गैर-भक्तों / अधार्मिक, अनैतिक विधर्मियों को संचालन सौंपने जैसे अन्याय को समाप्त किया जाना चाहिए. हिंदू समाज की ताकत के आधार पर मंदिरों के उचित प्रबंधन और संचालन को सुनिश्चित करते हुए एक बार फिर मंदिरों को हमारे सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन का केंद्र बनाने के लिए एक योजना तैयार करना भी आवश्यक है. यह भी आवश्यक और उचित है कि हिंदू मंदिरों के संचालन के अधिकार हिंदू भक्तों को सौंपे जाएं और हिंदू मंदिरों की संपत्ति का उपयोग देवताओं की पूजा और हिंदू समुदाय के कल्याण के लिए ही किया जाए. 

भारत की विविध भाषाई, धार्मिक और क्षेत्रीय परंपराओं को एक व्यापक इकाई में एकीकृत करना और विकास के समान अवसरों के साथ सभी को समान रूप से स्वीकार और सम्मान करते हुए आपसी सहयोग को बढ़ावा देना हमारी संस्कृति है. हम सब विविधताओं को स्वीकार करते हैं. हमारे आदर्श हमारे सामान्य पूर्वज हैं. इसी बात की समझ है कि देश ने हसनखान मेवाती, हकीमखान सूरी, खुदाबख्श और गौस खान जैसे शहीदों और अशफाकउल्लाह खान जैसे क्रांतिकारी को देखा। वे सभी के लिए सराहनीय रोल मॉडल हैं. यह सच है कि विदेशी आक्रमणकारियों के साथ-साथ धार्मिक संप्रदाय भी हमारे देश में आए. हालांकि, उन संप्रदायों के अनुयायी अतीत के आक्रमणकारियों से नहीं बल्कि हिंदू पूर्वजों से संबंधित हैं, जिन्होंने उन आक्रमणकारियों के खिलाफ देश की रक्षा के लिए संघर्ष किया. सब प्रकार के भय से मुक्त होना होगा. दुर्बलता ही कायरता को जन्म देती है. सत्य तथा शान्ति भी शक्ति के ही आधार पर चलती है. सनातन हिंदू संस्कृति और उदार हिंदू समाज को स्वीकार करने की क्षमता रखता है.

आरएसएस चीफ ने कहा कि बाहर से आये सभी संप्रदायों के माननेवाले भारतीयों सहित सभी को यह मानना समझना होगा कि हमारी आध्यात्मिक मान्यता व पूजा की पद्धति की विशिष्टता के अतिरिक्त अन्य सभी प्रकार से हम एक सनातन राष्ट्र, एक समाज, एक संस्कृति में पलेबढ़े समान पूर्वजों के वंशज हैं. डॉ. भागवत ने कहा कि भारत की मुख्यधारा की मूल्य प्रणाली के हिस्से के रूप में हिंदू समाज इसे तभी झेल पाएगा जब इसकी संगठित सामाजिक ताकत, आत्मविश्वास और निडर भावना का एहसास होगा. हमें अपने व्यक्तिगत स्तर पर शारीरिक, बौद्धिक और मानसिक शक्ति, साहस, जोश, सहनशक्ति और सहनशीलता बढ़ाने के तरीकों पर ध्यान देना होगा. उन्होंने कहा कि कश्मीर में आतंकवादियों ने राष्ट्रीय सोच वाले नागरिकों विशेष रूप से हिंदुओं पर निशाना बनाना शुरू कर दिया है. कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने और खत्म करने के प्रयासों में तेजी लाने की जरूरत है. 

उन्होंने कहा कि  समाज की ताकत उसकी एकता में निहित है. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि राष्ट्रीय चरित्र वाला एकीकृत, मजबूत और जागरूक समाज ही दुनिया के सामने अपनी आवाज बुलंद कर सकता है. मजबूत और निडर बनकर हमें एक ऐसे हिंदू समाज का निर्माण करना होगा जो इन शब्दों का प्रतीक हो. न तो मैं किसी को धमकाता हूं, न ही मैं खुद किसी डर को जानता हूं. एक सतर्क, एकजुट, मजबूत और सक्रिय समाज ही सभी समस्याओं का समाधान है. भागवत ने कहा कि पर्यावरण को जीतने की नहीं, संवारने की आवश्यकता है. Not conquer  but nurture का आचरण बनाना चाहिए. प्लास्टिक का प्रयोग यथासंभव कम से कम करना चाहिए. सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग बंद कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि OTT प्लेटफॉर्म पर कोई नियंत्रण नहीं है. नियंत्रण विहीन व्यवस्था से अराजकता का संकट होता है, इन सब पर मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है.