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सेना को एक मजबूत और विश्वसनीय तोप की जरूरत, लेकिन आ रहीं अड़चनें, बोले लेफ्टिनेंट चावला

टीके चावला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दो परियोजनाओं में से अधिक महत्वपूर्ण है  ATAGS Howitzer, जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा निजी फर्मों Bharat Forge और TATA Power SED के साथ विकसित किया जा रहा है.

Updated on: 28 Sep 2021, 09:49 AM

नई दिल्ली :

भारतीय सेना को मजबूत बनाने के लिए मजबूत और विश्वसनीय तोप की जरूरत है. दो प्रमुख स्वदेशी कार्यक्रम विफल होने की वजह से आधुनिकीकरण योजना को अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है. यह कहना है लेफ्टिनेंट जनरल टी.के चावला का. भारतीय सेना के डीजी आर्टिलरी लेफ्टिनेंट जनरल टी. के. चावला ने गनर्स डे के मौके पर मीडिया से बातचीत में ये बात कही.  उन्होंने कहा कि सेना द्वारा फील्ड आर्टिलरी रेशनलाइज़ेशन प्रोग्राम (एफएआरपी) को अंतिम रूप देने के 22 साल बाद, जिसके तहत 2025-27 तक लगभग 3,000-3,600 हॉवित्जर की खरीद की जानी थी, आधुनिकीकरण योजना को अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि दो प्रमुख स्वदेशी कार्यक्रम विफल हो गए हैं.

टीके चावला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दो परियोजनाओं में से अधिक महत्वपूर्ण है  ATAGS Howitzer, जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा निजी फर्मों Bharat Forge और TATA Power SED के साथ विकसित किया जा रहा है.

सेना चाहती है दोनों कार्यक्रम सफल हो

लेफ्टिनेंट जनरल चावला ने कहा कि एटीएजीएस और धनुष दोनों के लिए सेना की ओर से बहुत अधिक हैंडहोल्डिंग की गई है. मैंने पिछले हफ्ते ओएफबी (आयुध निर्माणी बोर्ड) और एआरडीई (डीआरडीओ के आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान) के साथ विस्तृत चर्चा की थी. जहां आवश्यकता है वहां हम पारस्परिक रूप से सहमत हुए हैं. सेना चाहती है कि दोनों कार्यक्रम सफल हों. 

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एटीएजीएस पर काम अभी बाकी है 

उन्होंने आगे बताया कि एटीएजीएस के इस गर्मी के मौसम में अग्नि परीक्षण कुछ मानकों में हासिल करने में सफल नहीं रहा. आगे इसे संशोधन से गुजरना होगा. कुछ पैरामीटर थे जिन्हें हासिल कर लिया गया है और कुछ पैरामीटर हैं जिन्हें फायरिंग और नॉन-फायरिंग दोनों मापदंडों में सुधार की आवश्यकता है. चावला ने आगे कहा कि एटीएजीएस को सेना में संभावित रूप से शामिल करने के लिए एक समयसीमा देना मुश्किल है. 

ATAGS में कुछ खामियां जिसे दुरूस्त किया जा रहा है 

लेफ्टिनेंट ने बताया कि हमने पोखरण की गर्मियों में उन्हें (ATAGS) आज़माया. कुछ खामियां हैं. हमने डीआरडीओ को सूचित कर दिया है और वे इस पर काम करने के लिए सहमत हो गए हैं. हम एक मजबूत बंदूक, विश्वसनीय तोप की तलाश कर रहे हैं जो सटीक और विश्वसनीय रूप से फायर कर सके.

माना जाता है कि सेना ने एटीएजीएस के वजन को लेकर चिंता व्यक्त की थी. एटीजीएस हॉवित्जर बनाने की परियोजना साल 2012 में शुरू हुई थी. लेकिन कई महत्वपूर्ण मानकों को पूरा करने में अभी यह असफल साबित हुई है जो चिंता का विषय है. हालांकि लेफ्टिनेंट चावला ने कहा कि एटीएजीएस को लेकर आशावादी हूं और इसे जल्द ही हर पैमाने पर ठीक कर लिया जाएगा.

K9 वज्र हॉवित्जर के एक योजना को पूरा कर लिया गया है 

इसक साथ ही जनरल चावला ने कहा कि दक्षिण कोरियाई फर्म के सहयोग से एलएंडटी की ओर से निर्मित K9 वज्र हॉवित्जर के लिए सभी योजनाओं में से एक को पूरा कर लिया गया है. एक अंग्रेजी मीडिया के मुताबिक  सेना संभवतः अतिरिक्त ट्रैक की गई तोपों के लिए ऑर्डर कर रही है.

भारत के महिंद्रा डिफेंस द्वारा असेंबल किए गए अमेरिकी एम-777 के बारे में बात करते हुए, महानिदेशक आर्टिलरी ने कहा कि ऑर्डर आधा सेना तक पहुंच गया है. लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसमें देरी हुई है. 

हॉवित्जर की तीन रेजिमेंटों को तैनात किया गया है

उन्होंने सेना को और अधिक एम-777 का ऑर्डर देने से इनकार किया है. उन्होंने कहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ हॉवित्जर की तीन रेजिमेंटों को तैनात किया गया है.