देश में शरणार्थी की जिंदगी जीने को मजबूर है 40 हजार हिंदुस्तानी, जानें वजह

ये 40 हजार लोग मिजोरम से आएं है जो पिछले 22 सालों से अपने ही देश में शरणार्थी बनकर रह रहे हैं.

ये 40 हजार लोग मिजोरम से आएं है जो पिछले 22 सालों से अपने ही देश में शरणार्थी बनकर रह रहे हैं.

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Aditi Sharma
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देश में शरणार्थी की जिंदगी जीने को मजबूर है 40 हजार हिंदुस्तानी, जानें वजह

प्रतिकात्म तस्वीर

देश में फिलहाल 40 हजार लोग ऐसे हैं जो हिंदुस्तानी होते हुए भी शरणार्थी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं. ये 40 हजार लोग मिजोरम से आएं है जो पिछले 22 सालों से अपने ही देश में शरणार्थी बनकर रह रहे हैं. ये लोग हर रोज केवल 600 ग्राम चावल और 5 रुपए पर अपना गुजारा करते हैं.

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मीडिया रिपोर्ट की मानें तो ये लोग मिजोराम से आतंक के चलते अपना घरबार खेतीबाड़ी सब छोड़ त्रिपुरा की पहाड़ियों पर शरण लेने को मजबूर हो गए थे. इनके पास आधार कार्ड नहीं है. इनके पास केवल वोटर कार्ड है और इनका राशन कार्ड भी अस्थाई है. ये 40 हजार लोग त्रिपुरा की पहाड़ियों पर 7 कैम्पों में रहते हैं.

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सरकार ने क्यों दिया शरणार्थियों को अल्टीमेटम

सरकार की तरफ से सभी 40 हजार शरणार्थियों को अल्टीमेटम दिया गया है कि वह 1 अक्टूबर तक वापस मिजोरम चले जाएं. दरअसल सरकार इन लोगों को वापस मिजोरम में बसाना चाहती है औऱ इसीलिए ये कदम उठाया गया है. सरकार ने साफ-साफ कह दिया है कि अगर वे वापस मिजोरम नहीं गए तो उनका राशन बंद कर दिया जाएगा.

रिपोर्ट के मुताबिक साल 2010 में इनमें से 7-8 हजार लोगों को वापस मिजोराम भेजा गया था लेकिन उन्हें दोबारा वहां परेशान किया गया और रहने नहीं दिया गया जिसके बाद ये लोग त्रिपुरा वापस आ गए.

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बताया जा रहा है कि केंन्द्र इन शरणार्थियों की समस्या हल करने के लिए त्रिपुरा और मिजोरम की सरकार के साथ बातचीत की थी और वादा किया था कि शरणार्थी अगर मिजोरम जाएंगे तो घर बसाने के लिए उन्हें रुपए दिए जाएंगे. लेकिन अब 40 हजार शरणार्थियों की मांग कुछ औऱ है. उनकी मांग है कि 500-500 परिवारों के गांव बनाए जाएं और ज़िला परिषद बनाई जाए. इसके अलाव 5 एकड़ ज़मीन खेती के लिए दी जाए. हालांकि सरकार की तरफ से इन मांगों को के पक्ष में कोई ऐलान नहीं हुआ है.

Modi Government mizoram Tripura Indian Refugees
      
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