एनडीएमसी के शिक्षा विभाग ने बीएसएफ इंस्टीट्यूट ऑफ एडवेंचर एंड एडवांस ट्रेनिंग (बीआईएएटी) में सीमा सुरक्षा बल के सहयोग से अपने स्कूलों (अटल आदर्शऔर नवयुग स्कूलों) के छात्रों के लिए एक अलग तरह की वास्तविक-स्थल साहसिक यात्रा का आयोजन किया है।
शुरुआत में छात्रों को 3 समूहों में यह अनूठा प्रदर्शन और अनुभव प्रदान किया जा रहा है। 45 छात्रों के पहले समूह और 6 शिक्षकों की एक टीम ने 20 जनवरी को 5 दिनों की यात्रा पूरी की है, जिसके दौरान उन्होंने रॉक क्लाइम्बिंग, स्पोर्ट्स वॉल क्लाइंबिंग, यूएवी और एमटीबी अभ्यास की पैंतरेबाजी, एकीकृत बाधा अभ्यास, माउंटेन ट्रैकिंग, ऋषिकेश में गंगा नदी में कयाकिंग आदि गतिविधियों कीं। उन्हें रॉक क्राफ्ट और माउंटेन रेस्क्यू तकनीक, पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग आदि में भी प्रदर्शित किया गया। यात्रा का पूरा खर्च एनडीएमसी और बीएसएफ द्वारा संयुक्त रूप से वहन किया गया है। एनडीएमसी के तहत विभिन्न स्कूलों की लगभग 50 लड़कियों का अगला समूह 5 दिनों की यात्रा के लिए 29 जनवरी को बीआईएएटी जा रहा है।
एनडीएमसी स्कूलों के छात्रों को यह अवसर देने के लिए बीएसएफ को धन्यवाद देते हुए एनडीएमसी के उपाध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने बताया कि एनडीएमसी के छात्रों और शिक्षकों को अगले वर्ष प्रशिक्षण के ऐसे कई और अवसर दिए जाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि भारत के आजादी के 75 साल को आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मनाए जाने और प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत ने आत्मनिर्भर भारत में अपनी पहचान बनाई है। भारत में ही कई संस्थाएं और संगठन सामने आए हैं, जो सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।
उन्होंने कहा कि जहां कुछ सरकारें इस तरह की शिक्षा को प्रदर्शित करने के लिए महंगे विदेश दौरों पर जोर देती हैं, वहीं हम हमेशा छात्रों/शिक्षकों को नई और प्रासंगिक चीजें सिखाने के लिए देश के भीतर उपलब्ध बुनियादी ढांचे, संस्थानों और संभावनाओं का पता लगाते हैं।
एनडीएमसी अध्यक्ष अमित यादव ने सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस तरह की यात्रा से छात्रों को वास्तविक दुनिया का अनुभव प्राप्त करने में मदद मिलती है, जिसे कक्षा में नहीं पढ़ाया जा सकता। यह उनके दिमाग को विभिन्न संस्कृतियों के लिए खोलता है और उनके आसपास की दुनिया के बारे में उनके ज्ञान को मजबूत करता है।
एनडीएमसी उपाध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने शिक्षा विभाग द्वारा की गई इस पहल की सराहना की और कहा कि इस तरह के साहसिक दौरे का आयोजन करना कोई आसान काम नहीं है, क्योंकि यह न केवल छात्रों की देखभाल करने की जिम्मेदारी है, बल्कि उनकी सुरक्षा को भी प्राथमिकता देना है।
सतीश उपाध्याय ने कहा कि स्कूलों में देशभक्ति की शिक्षा छात्रों में पहचान की भावना विकसित करने में मदद करती है और छात्रों को यह समझने में भी मदद करती है कि उनका समाज में एक उद्देश्य है और छात्रों के विकास और चरित्र निर्माण में मदद करता है।
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Source : IANS