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ड्रैगन की चाल पर कड़ी नजर रख रहे भारतीय सेना के टॉप कमांडर

भारत चीन की हर हरकत पर कड़ी नजर बनाए हुए है. इसी क्रम में नादर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने आज पूर्वी लद्दाख इलाके का दौरा किया और वहां डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया का रिव्यू किया.

भारत चीन की हर हरकत पर कड़ी नजर बनाए हुए है. इसी क्रम में नादर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने आज पूर्वी लद्दाख इलाके का दौरा किया और वहां डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया का रिव्यू किया.

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Shailendra Kumar
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ड्रैगन की चाल पर कड़ी नजर रख रहे भारतीय सेना के टॉप कमांडर( Photo Credit : ANI)

लद्दाख से चीन अपने सैनिकों और सैन्य साजो-सामान को तेजी से पीछे हटा रहा है. लेकिन उसकी चालाकियों की पुरानी आदत को देखते हुए भारत कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहता है. भारत और चीन के बीच विवादित इलाकों से पीछे हटने का समझौता हुआ है. इसी समझौते के तहत ड्रैगन पैंगोंग शो झील के उत्तरी और दक्षिणी इलाके से अपनी सेनाओं को पीछे हटाना शुरू कर चुका है. चीन इन इलाकों से तंबू और सैन्य साजो-सामान वापस ले जा रहा है. इस बीच भारत चीन की हर हरकत पर कड़ी नजर बनाए हुए है. इसी क्रम में नादर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने आज पूर्वी लद्दाख इलाके का दौरा किया और वहां डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया का रिव्यू किया.

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भारतीय सेना की टीमें ड्रोन और कैमरों से लैस होकर पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग झील से चीनी सैनिकों के पीछे हटने और उसके द्वारा स्थापित सैन्य बुनियादी ढांचे को हटाने की प्रक्रिया पर लगातार नजर बनाए हुए है. इसके अलावा, पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी दोनों तटों पर सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया 20 फरवरी तक पूरी होने की उम्मीद है. इसके अलावा भारतीय सेना की टीम चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) टीम के साथ पैंगोंग झील पर सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया का भौतिक रूप से (फिजिकली) सत्यापन और पुन: सत्यापन करेगी. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, "यह भारतीय सेना और चीनी पीएलए दोनों की ओर से एक संयुक्त निरीक्षण दल होगा."

अधिकारी ने आगे कहा कि भारतीय सेना की टीमें सैन्य टुकड़ियों की जांच और सैन्य ठिकानों को हटाने की प्रक्रिया की निगरानी एवं इसका रिकॉर्ड रखने के लिए ड्रोन के साथ ही हाई-रिजॉल्यूशन कैमरों का उपयोग करेंगी. यह टीमें विशेष रूप से चीनी सैनिकों द्वारा पैंगोंग झील के पास स्थापित किए गए सैन्य ठिकानों को हटाने की प्रक्रिया की निगरानी करेंगी. चीन की ओर से फिंगर 7 क्षेत्र में एक सैन्य चौकी बनाने के अलावा लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली बंदूकें भी तैनात की गई थीं. इस इलाके में बंकरों का निर्माण किया गया था और हजारों पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों के ठहरने के लिए स्थायी संरचनाओं का निर्माण भी किया गया था.

अधिकारी ने बताया, "हम भौतिक रूप से यह सत्यापित करेंगे कि क्या इलाके से प्रत्येक चीजें हटा दी गई हैं या नहीं. हम यह जांचने के लिए फिंगर 8 तक जाएंगे कि क्या सहमति शर्तों के अनुसार पीछे हटने की प्रक्रिया हो रही है या नहीं." समझौते में कहा गया है कि चीनी सैनिक वापस फिंगर 8 में चले जाएंगे और भारतीय सेना पैंगोंग झील के उत्तरी तट के फिंगर 2 और 3 के बीच धन सिंह थापा की चौकी पर वापस आ जाएगी. इसके अलावा, पारंपरिक क्षेत्रों में गश्त सहित सैन्य गतिविधियों पर एक अस्थायी रोक होगी.

Source : News Nation Bureau

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