सिकुड़ रहा है NDA का दायरा, चुनाव में होगा नुकसान या BJP मार ले जाएगी बाजी
33 दलों से शुरू हुआ एनडीए का दायरा अब सिकुड़ गया है. उसके एक के बाद एक सहयोगी साथ छोड़ते जा रहे हैं.
नई दिल्ली:
33 दलों से शुरू हुआ एनडीए का दायरा अब सिकुड़ गया है. उसके एक के बाद एक सहयोगी साथ छोड़ते जा रहे हैं. पिछले साल मार्च में एनडीए की अहम सहयोगी आंध्र प्रदेश की पार्टी तेलुगूदेशम ने राज्य को विशेष दर्जे की मांग को लेकर एनडीए छोड़ने की घोषणा की थी. उसके बाद बिहार में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नेता उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए को अलविदा कह दिया था. और अब पूर्वोत्तर के राज्य असम में एनडीए की प्रमुख सहयोगी असम गण परिषद ने भी बाय-बाय बोल दिया है. बीजेपी में इस बात को लेकर गंभीर चिंता हो रही है कि एक के बाद एक सहयोगियों के साथ छोड़ने से जनता में गलत संदेश जा सकता है और चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.
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पिछले साल मार्च में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए से अलग हो गई. वहीं जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती से पटरी नहीं खाई तो बीजेपी ने अगस्त में समर्थन वापस ले लिया और महबूबा मुफ्ती एनडीए से अलग राह अपना चुकी हैं. हाल ही में बिहार में उपेंद्र कुशवाहा ने भी साथ छोड़ने का फैसला कर लिया. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद लोक जनशक्ति पार्टी नेता रामविलास पासवान और उनके बेटे चिराग पासवान ने भी आंख दिखानी शुरू कर दी थी, लेकिन बीजेपी ने उनकी नाराजगी दूर कर ली. उसके बाद उत्तर प्रदेश में सहयोगी दल अपना दल ने भी असंतोष का इजहार किया. इसके बाद बीजेपी ने अपना दल को मनाने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को जिम्मा सौंपा है. उत्तर प्रदेश में ही सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओमप्रकाश राजभर भी यदा-कदा बीजेपी को आंख दिखाते रहे हैं. शिवसेना भी बीजेपी के लिए विपक्ष से कम नहीं है. जिस मुद्दे पर विपक्ष भी हंगामा नहीं करता, शिवसेना वैसे मुद्दे पर भी मोदी और महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ आग उगलती रहती है.
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नए सहयोगियों को जोड़ने की फिराक में बीजेपी
माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले तमिलनाडु की सत्ताधारी एआइएडीएमके केंद्र में बीजेपी की नई सहयोगी पार्टी हो सकती है. पिछले दिनों पीएम मोदी चेन्नई में एक कार्यक्रम में गए थे तो वहां सत्ताधारी दल के नेताओं ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया था. वहीं, फिल्म से राजनीति में उतरने वाले अभिनेता रजनीकांत के भी एनडीए के बैनर तले आने की चर्चाएं हैं. आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस के नेता वाईएस जगनमोहन भी एनडीए में आ सकते हैं. तेलंगाना की बात करें तो सत्ताधारी टीआरएस के मुखिया और मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) की बीजेपी से नजदीकियां अभी किसी से छिपी नहीं है. हालांकि वे अभी बीजेपी और कांग्रेस से अलग तीसरे मोर्चे की कवायद में लगे हैं लेकिन माना जा रहा है कि चुनाव के बाद कांग्रेस और बीजेपी में से वे बीजेपी के ही पाले में जा सकते हैं.
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एनडीए के सहयोगी दल
बीजेपी के अलावा महाराष्ट्र में शिवसेना और आरएसपी, पंजाब में शिरोमणि अकाली दल, तीन तमिल पार्टियों देसिया मुरपोक्कु द्रविड़ कड़गम (डीएमडीके), मक्कल काची पात्तली (पीएमके) और एमडीएमके, बिहार में जदयू, उत्तर प्रदेश में अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, मेघालय में संगमा कांग्रेस, झारखंड में सुदेश महतो की आजसू, असम में बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट और पूर्वोत्तर के कई छोटे-छोटे दल शामिल हैं.
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