NCPCR ने सुप्रीम कोर्ट में दिया डाटा, कोरोना काल में अनाथ हुए 1742 बच्चे
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कोरोना के चलते अपने अभिभावकों को खोने वाले बच्चों के लिए शुरू की गई राहत स्कीम की जानकारी मांगी है.
highlights
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कोरोना से अनाथ बच्चों के लिए राहत स्कीम की जानकारी मांगी
- कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से इसको लेकर नोडल अफसर नियुक्त करने को कहा है
- कोरोना के चलते अभी तक 9 हज़ार से ज़्यादा बच्चों ने माता-पिता या दोनों में से एक को खोया है
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कोरोना के चलते अपने अभिभावकों को खोने वाले बच्चों के लिए शुरू की गई राहत स्कीम की जानकारी मांगी है. कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से इसको लेकर नोडल अफसर नियुक्त करने को कहा है, जो एमिकस क्युरी से बात कर उन तक ऐसे बच्चों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराएंगे. अगली सुनवाई पर कोर्ट 10 राज्यों तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान , उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार और झारखंड के मामलों को सुनेगा. इसी बीच NCPCR ने कोर्ट को बताया है कि राज्यों से मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना के चलते अभी तक नौ हज़ार से ज़्यादा बच्चों ने माता-पिता या दोनों में से एक को खोया है. इनमे से 1742 ऐसे बच्चे है जिनके माता-पिता दोनो की मौत हो गई, जबकि 7464 के माता या पिता में से एक की मृत्यु हुई. NCPCR ने बच्चों को आर्थिक मदद की भी मांग की है.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी में अपने अभिभावकों को खोने वाले बच्चो की बुनियादी ज़रूरते पूरी हो सके,इसके लिए देश भर में जिला प्रशासन को सुनिश्चित करने को कहा था. कोर्ट ने सरकार से राहत कार्यो की जानकारी मांगते हुए ऐसे बच्चों का डेटा NCPCR वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा था.
केंद्र समेत कई राज्य सरकारों ने ऐलान किया
केंद्र सरकार ने हाल ही में अनाथ बच्चों के लिए बड़ा ऐलान किया था. केंद्र द्वारा अनाथ बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाया जाएगा, साथ ही 18 साल होने पर बच्चों को छात्रवृत्ति मिलेगी, साथ ही 23 साल की उम्र में होने पर 10 लाख रुपये का फंड मिलेगा. इनके साथ सभी बच्चों को आयुष्मान भारत का कवर दिया जाएगा. केंद्र सरकार के अलावा देश की कई राज्य सरकारों द्वारा ऐसे बच्चों को लेकर बड़े ऐलान किए गए हैं.
उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार ने अनाथ बच्चों का पालन करने का जिम्मा उठाया है, अनाथ बच्चों के गार्जियन को 4 हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाएगा. जिन बच्चों का कोई गार्जियन नहीं है, उन्हीं सरकारी संस्थानों में रखा जाएगा. नाबालिग लड़कियों को शादी के लिए रकम दी जाएगी. मध्य प्रदेश सरकार ने भी ऐसे बच्चों को 5 हजार रुपये की पेंशन देने की बात कही है, इसके अलावा बच्चों की स्कूली-कॉलेज पढ़ाई का खर्च उठाने का भी ऐलान किया गया है.
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