शरद पवार बोले- जैसे 1962 में नेहरू जवानों के बीच LAC पर गए थे, मोदी ने भी यही किया
चीन से तनातनी के बीच सरकार पर लगातार हमलावर रही कांग्रेस ने इस दौरे को टूरिस्ट स्पॉट बताया था, मगर महाराष्ट्र में कांग्रेस के सहयोगी दल ने इस पर बिल्कुल अलग राय रखी है.
नई दिल्ली:
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन और भारत के बीच लगभग 2 महीने से गतिरोध की स्थिति है. बीते दिनों दोनों देशों के बीच तनाव इतना बढ़ गया कि हालात युद्ध जैसे बन गए. दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ खड़ी हुईं. इस बीच सीमावर्ती इलाके में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के दौरे से हर कोई हैरान रह गया. यहां तक की चीन में भी मोदी के लेह दौरे से खलबली मच गई थी. चीन से तनातनी के बीच सरकार पर लगातार हमलावर रही कांग्रेस ने इस दौरे को टूरिस्ट स्पॉट बताया था, मगर महाराष्ट्र में कांग्रेस के सहयोगी दल ने इस पर बिल्कुल अलग राय रखी है.
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महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में कांग्रेस की सहयोगी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लेह दौरे को सैनिकों को प्रेरित करने वाला कदम बताया. शरद पवार ने कहा कि 1962 के युद्ध के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और तत्कालीन रक्षा मंत्री यशवंतराव चव्हाण ने सीमा क्षेत्र का दौरा किया था. उन्होंने कहा कि तब नेहरू और चव्हाण ने सैनिकों को प्रेरित किया था और अब हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री ने भी ऐसा ही किया. एनसीपी नेता ने कहा कि जब भी ऐसी स्थिति होती है, देश के नेतृत्व को सैनिकों को प्रेरित करने के लिए कदम उठाने चाहिए.
In 1962, when we lost the war, JL Nehru (the then PM)&Yashwantrao Chavan (the then Defence Minister) went there (LAC)&motivated soldiers. Similarly,our present PM has done it. Whenever there's such situation, country's leadership must take steps to motivate soldiers: Sharad Pawar pic.twitter.com/tNq03hidOg
— ANI (@ANI) July 7, 2020
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हालांकि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लद्दाख दौरा आश्चर्यचकित करने वाला नहीं था. यहां संवाददाताओं से बात करते हुए पवार ने याद किया, 'जब वह 1993 में रक्षा मंत्री थे, तब वह चीन गए थे और एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसके बाद दोनों पक्षों के सैनिक पीछे हटे थे.' उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री के साथ सर्वदलीय बैठक के दौरान भी मैंने वर्तमान मुद्दे को लेकर कहा था कि इसे राजनयिक बातचीत के जरिए सुलझाए जाने की आवश्यकता है और हमें चीन पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाना चाहिए.'
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