स्थाई नहीं है यह बदलाव, एनईपी आधारित नई पुस्तकें ला रहा है एनसीईआरटी : एनसीईआरटी निदेशक
स्थाई नहीं है यह बदलाव, एनईपी आधारित नई पुस्तकें ला रहा है एनसीईआरटी : एनसीईआरटी निदेशक
नई दिल्ली:
एनसीईआरटी की किताबों में किया गया बदलाव किसी को खुश या फिर नाराज करने के लिए उद्देश्य से नहीं किया गया है। एनसीईआरटी के चीफ दिनेश प्रसाद सकलानी ने आईएएनएस को यह बताते हुए कहा कि यह बदलाव विशुद्ध रूप से एक्सपर्ट एडवाइस के आधार पर किए गए हैं। उनका कहना है कि एनसीईआरटी अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आधार पर सभी कक्षाओं के लिए नई पुस्तके लाने जा रहा है। फाउंडेशन स्तर पर नई पुस्तकें बनाने का कार्य तो पूरा भी हो चुका है।एनसीईआरटी चीफ के मुताबिक यह बदलाव केवल इतिहास की किताब में ही नहीं किया गया, बल्कि हर विषय में से कुछ सामग्री कम की गई है ताकि परीक्षा के दौरान छात्रों का बोझ कम हो सके और उन्हें कम सवालों का उत्तर देना पड़े। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि पुस्तकों में किया गया बदलाव किसी केवल खास व्यक्ति, घटना, कालखंड या संस्था आधारित नहीं है बल्कि इसमें महात्मा गांधी, निराला और मुगल सभी कुछ शामिल है।
पेश है एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी से बातचीत के कुछ अंश।
प्रश्न- क्या यह बदलाव स्थाई है या एनसीईआरटी नई स्कूली पाठ्य पुस्तकें लाएगा।
उत्तर - यह बात सही है कि एनसीईआरटी सभी कक्षाओं के लिए नई पाठ्य पुस्तक ए तैयार कर रहा है। एनसीईआरटी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आधार पर नई पुस्तकें डिजाइन कर रहा है। फाउंडेशन स्तर की पुस्तकें तैयार भी हो चुकी हैं और अगले 2 महीने के भीतर यह पुस्तकें उपलब्ध होंगी। बड़ी कक्षाओं के लिए भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आधार पर नई पुस्तकें तैयार की जा रही हैं। इन पुस्तकों पर अभी काम चल रहा है और इन पुस्तकों को आने में 1 वर्ष का समय लग सकता है।
प्रश्न- एनसीईआरटी की पुस्तकों में मौजूदा बदलाव क्यों करने पड़े।
उत्तर - यह कोई बहुत बड़े बदलाव नहीं हैं। दूसरी बात यह है कि यह सभी बदलाव बीते वर्ष किए गए थे। सभी ने देखा है कि तब कोरोना की क्या स्थिति थी। छात्रों को पढ़ाई का भारी नुकसान हुआ था। न केवल स्कूल स्तर पर बल्कि देश और दुनिया भर में विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी स्कूल कॉलेज बंद रहने के कारण छात्रों को पढ़ाई का नुकसान झेलना पड़ा। ऐसे में एनसीईआरटी ने विशेषज्ञों की राय के आधार पर छात्रों का कोर्स कुछ काम करने का निर्णय लिया ताकि लंबे समय बाद स्कूल आए छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम रहे।
प्रश्न - विभिन्न पुस्तकों से अलग अलग अध्याय और तथ्य हटाने का छात्रों को क्या लाभ हुआ।
उत्तर - इसका सीधा सीधा लाभ छात्रों को ही मिला है। हम ने वर्ष 2022 में ही एनसीईआरटी का सिलेबस कम कर दिया था। छात्रों को इसका लाभ यह मिला कि उन पर पढ़ाई का बोझ कम पढ़ा। लंबे समय बाद स्कूल आए छात्रों को एग्जाम के लिए कम सामग्री पढ़नी पड़ी। इसी संशोधित सामग्री से सीमित प्रश्न परीक्षा में पूछे गए। इससे पहले ही कोरोना के तनाव से जूझ रहे छात्रों का परीक्षा से जुड़ा तनाव कम हुआ।
प्रश्न- कुछ लोग यह आरोप लगा रहे हैं कि रणनीति के तहत मुगलों को पूरी तरह पाठ्य पुस्तकों से बाहर करने के लिए यह कदम उठाया गया।
उत्तर - हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि एनसीईआरटी ने किसी के कहने पर यह कदम नहीं उठाया है। सिलेबस कम करने का फैसला किसी को खुश या नाराज करने के उद्देश्य से नहीं लिया गया। हमने देश भर के शिक्षाविदों व विशेषज्ञों की राय के आधार पर छात्रों को फौरी राहत पहुंचाने के लिए यह कदम उठाया है। यह आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद है कि पाठ्य पुस्तकों से मुगलो के सभी अध्याय हटा दिए गए हैं, ऐसा नहीं है।
प्रश्न - किस आधार और प्रक्रिया के तहत एनसीईआरटी ने पुस्तकों से अध्याय हटाने का निर्णय लिया।
उत्तर- हमने इसके लिए देश भर के शिक्षा एक्सपर्ट की कमेटी बनाई। इन शिक्षा विशेषज्ञों ने छठी से 12वीं कक्षा तक हर विषय और पुस्तक का गहन अध्ययन किया और फिर ऐसे अध्याय एवं तथ्यों को सिलेबस से हटाने की सिफारिश की गई जो तथ्य या अध्याय रिपीट हुए हैं या फिर जिन्हें छात्रों का बोझ कम करने के लिए पाठ्य पुस्तकों से हटाया जा सकता था। जिन विशेषज्ञों की अनुशंसा के आधार पर यह निर्णय लिया गया उनमें विश्वविद्यालय स्तर के शिक्षाविद, स्कूलों से जुड़े एक्सपर्ट और स्वयं एनसीईआरटी के एक्सपर्ट शामिल हैं।
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