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सिद्धू ने 71 दिन बाद पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया (लीड-1)

सिद्धू ने 71 दिन बाद पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया (लीड-1)

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IANS
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Navjot Singh

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के मंत्रिमंडल के पहले विस्तार, विभागों के आवंटन और महाधिवक्ता सहित महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियों से नाखुश, राज्य कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वह इस पद पर मात्र 71 दिन रहे।

उनके इस फैसले ने राज्य कांग्रेस को फिर से गहरे संकट में डाल दिया है, हालांकि सिद्धू ने कहा कि वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे।

चन्नी ने अपने कैबिनेट सहयोगियों को विभागों के आवंटन की घोषणा की और एक घंटे से भी कम समय में सिद्धू ने अपने ट्विटर हैंडल पर अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी।

पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में, सिद्धू ने लिखा, एक आदमी के चरित्र का पतन समझौता कर लेने से होता है, मैं पंजाब के भविष्य और पंजाब के कल्याण के एजेंडे से कभी समझौता नहीं कर सकता। इसलिए, मैं पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं। कांग्रेस की सेवा करना जारी रखूंगा।

पता चला है कि सिद्धू अपनी पसंद के विधायकों को विस्तारित मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने और नए महाधिवक्ता ए.पी.एस. देओल की नियुक्ति से नाराज हैं। जब शिअद-भाजपा गठबंधन सत्ता में था, उस समय देओल पूर्व पुलिस महानिदेशक सुमेध सिंह सैनी के वकील थे, जिनकी 2015 में दो सिख प्रदर्शनकारियों की हत्या में उनकी कथित भूमिका की जांच चल रही है।

सिद्धू के इस्तीफे पर चुटकी लेने का मौका न चूकते हुए पंजाब के दो बार के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने उनका नाम लिए बिना उन्हें एक अस्थिर व्यक्ति बताया।

अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करने राष्ट्रीय राजधानी के दो दिवसीय दौरे पर जाने से पहले एक ट्वीट में कहा, मैंने आपसे पहले ही कहा था.. वह स्थिर व्यक्ति नहीं है और सीमावर्ती राज्य पंजाब के लिए फिट नहीं है।

मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से अमरिंदर सिंह सार्वजनिक रूप से यह कहकर निशाना साध रहे हैं कि सिद्धू मुख्यमंत्री पद के लिए लड़ेंगे, और देश को ऐसे खतरनाक आदमी से बचाने के लिए वह कोई भी बलिदान देने के लिए तैयार हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री ने पिछले सप्ताह मीडिया साक्षात्कारों में कहा था, वह (सिद्धू) राज्य के लिए खतरनाक हैं।

सिद्धू के इस्तीफे पर, पार्टी के सूत्रों ने कहा कि वह राणा गुरजीत सिंह को दागी अतीत के बावजूद मंत्रिमंडल में फिर से शामिल किए जाने से निराश हैं।

गुरजीत सिंह अमरिंदर सरकार में मंत्री थे, लेकिन रेत खनन माफिया के साथ कथित संबंधों का आरोप लगने पर 10 महीने बाद ही इस्तीफा दे दिया था।

कांग्रेस के छह विधायकों ने सिद्धू को पत्र लिखकर राणा गुरजीत के आरोपों से बरी होने तक उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने पर नाराजगी व्यक्त की थी।

पता चला है कि सिद्धू मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे रहे सुखजिंदर रंधावा को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर सहज नहीं थे। साथ ही वह भारत भूषण आशु को दोबारा शामिल किए जाने से भी खफा थे।

पार्टी के एक नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि रंधावा को गृह विभाग का आवंटन भी सिद्धू को रास नहीं आया है।

सिद्धू कहते रहे हैं कि गृह विभाग को मुख्यमंत्री के पास रखना चाहिए जैसा कि पिछले पदाधिकारी कर रहे थे।

राजनीतिक संकट के बीच चन्नी ने यहां मीडिया से कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि सिद्धू ने इस्तीफा क्यों दिया, लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें नेता पर पूरा भरोसा है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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