केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने को-लोकेशन घोटाले के सिलसिले में विभिन्न दलालों से जुड़े 10 स्थानों पर छापेमारी के दौरान आपत्तिजनक दस्तावेज, डिजिटल उपकरण और अन्य महत्वपूर्ण सबूत बरामद किए हैं। इस घोटाले में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण और एनएसई के पूर्व-ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर आनंद सुब्रमण्यम शामिल रहे हैं।
छापेमारी दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, गुरुग्राम, गांधीनगर और देश के अन्य हिस्सों में की गई।
सीबीआई के एक सूत्र ने कहा, हमने कुछ डिजिटल उपकरण, दस्तावेज और अन्य प्रासंगिक चीजें बरामद की हैं। हमने कुछ दलालों के बयान दर्ज किए हैं। आने वाले हफ्तों में उन्हें जांच में शामिल होने के लिए कहा जा सकता है।
सूत्र ने बताया कि छापेमारी के दौरान एकत्र किए गए डिजिटल उपकरणों और दस्तावेजों को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है।
सीबीआई ने अप्रैल में इस मामले में चार्जशीट दाखिल की थी।
एजेंसी मई 2018 से मामले की जांच कर रही है, लेकिन उसे रहस्यमय हिमालयी योगी की पहचान करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं मिला है, जिसके साथ चित्रा रामकृष्ण ने गोपनीय जानकारी साझा की थी।
हाल ही में जब बाजार नियामक ने पाया कि उन्होंने योगी के साथ एनएसई के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की थी, तब सेबी ने उन पर 3 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
सूत्र ने कहा, योगी के साथ संगठनात्मक संरचना, लाभांश परिदृश्य, वित्तीय परिणाम, मानव संसाधन नीतियों और संबंधित मुद्दों, नियामक की प्रतिक्रिया आदि के बारे में जानकारी साझा की गई थी।
2014 से 2016 के बीच चित्रा ने रिग्याजुरसामाएट द रेट आउटलुक डॉट कॉम पर कई ईमेल भेजे।
चित्रा रामकृष्ण 1 अप्रैल, 2013 को एनएसई की सीईओ और एमडी बनीं। उन्होंने उसी वर्ष सुब्रमण्यम को एनएसई में अपने सलाहकार के रूप में लाया।
सुब्रमण्यम को एनएसई का मुख्य रणनीतिक सलाहकार बनाया गया था। उन्होंने इस पद पर 2013 और 2015 के बीच काम किया और 2015 और 2016 के बीच समूह संचालन अधिकारी और एमडी के सलाहकार बनाए गए थे।
पहले बामर और लॉरी में मिड-लेवल मैनेजर के रूप में काम करते हुए उनका वेतन 15 लाख रुपये से बढ़कर 1.68 करोड़ रुपये सालाना और फिर 4.21 करोड़ रुपये हो गया।
सुब्रमण्यम ने अक्टूबर 2016 में एनएसई और दिसंबर 2016 में चित्रा रामकृष्ण ने एनएसई छोड़ दिया।
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Source : IANS