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राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को मिली मोदी कैबिनेट की हरी झंडी, तैयार होगा डिजिटल डाटाबेस

मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को मंजूरी दे दी गई है. अब 1 अप्रैल 2020 से सरकार जनसंख्या का नया डाटाबेस तैयार करेगी. इसमें लोगों की बोयोमैट्रिक जानकारी भी ली जाएगी.

Updated on: 24 Dec 2019, 04:25 PM

नई दिल्ली:

मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को मंजूरी दे दी गई है. अब 1 अप्रैल 2020 से सरकार जनसंख्या का नया डाटाबेस तैयार करेगी. इसमें लोगों की बोयोमैट्रिक जानकारी भी ली जाएगी. पश्चिम बंगाल और केरल सरकार ने पहले ही एनपीआर को लागू करने से मना कर दिया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय इसे लागू कराने के लिए कैबिनेट से 3,941 करोड़ रुपये की मांग भी की है. सूत्रों के अनुसार कैबिनेट ने गृह मंत्रालय की इस मांग को मंजूर कर लिया है.

क्या है एनपीआर

  • राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के जरिए सरकार देश के हर नागरिक की जानकारी रख सकेगी.
  • इसके तहत हर भारतीय नागरिक का बायोमेट्रिक रिकॉर्ड लिया जाएगा और उनकी वंशावली भी दर्ज की जाएगी.
  • वैसे निवासी जो छह महीने या उससे ज्यादा समय से किसी क्षेत्र में रह रहा है, उसके लिए एनपीआर में पंजीकरण कराना अनिवार्य हो जाएगा.
  • एनपीआर को सरकार राष्ट्रीय स्तर, राज्य स्तर, जिला, उप जिला व स्थानीय स्तर पर तैयार करेगी.
  • एनपीआर तीन चरणों में तैयार किया जाएगा - पहला चरण एक अप्रैल 2020 से लेकर 30 सितंबर 2020 के बीच होगा. इसमें केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों द्वारा घर-घर जाकर जरूरी आंकड़े जुटाए जाएंगे.
  • दूसरा चरण 9 फरवरी 2021 से 28 फरवरी 2021 तक होगा. इसके बाद तीसरा चरण होगा, जिसमें जुटाए आंकड़ों में जरूरी संशोधन किए जाएंगे.

क्यों जरूरी है एनपीआर

  • एनपीआर का मूल उद्देश्य देश के हर निवासी की पहचान के लिए एक विस्तृत आंकड़ा तैयार करना है. इसमें हर निवासी की जनसांख्यिकी (Demographic) जानकारी के साथ-साथ उनका बायोमेट्रिक भी दर्ज रहेगा.
  • सरकारी योजनाओं के अन्तर्गत दिया जाने वाला लाभ सही व्यक्ति तक पहुंचे और व्यक्ति की पहचान की जा सके.
  • नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के द्वारा देश की सुरक्षा में सुधार किया जा सके और आतंकवादी गतिविधियों को रोकने में सहायता प्राप्त हो सके.
  • देश के सभी नागरिकों को एक साथ जोड़ा जा सके
  • आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के लिए अंतिम बार साल 2010 में आंकड़े जुटाए गए थे. जब 2011 के लिए जनगणना (Census 2011) की जा रही थी.
  • इन आंकड़ों को फिर साल 2015 में अपडेट किया गया था. इसके लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण हुए थे। उन आंकड़ों को डिजिटल करने की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है.
  • अब सरकार ने ये फैसला लिया है कि 2021 जनगणना (Census 2021) के दौरान असम को छोड़कर अन्य सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के लिए इन आंकड़ों को फिर से अपडेट किया जाएगा.
  • इस संबंध में केंद्र सरकार द्वारा एक राजपत्रित अधिसूचना पहले ही प्रकाशित की जा चुकी है.