वैश्विक औद्योगिक चुनौतियों के लिए इंडस्ट्री 4.0 की योजना के तहत केंद्र सरकार ने झारखंड की राजधानी रांची में स्थापित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाउंड्री एंड फोर्ज टेक्नोलॉजी (निफ्ट) को अब नया नाम दिया है। अब इसे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस मैन्युफैक्च रिंग के नाम से जाना जायेगा। इस संस्थान को उत्पादन तकनीक पर शोध के लिए विशिष्ट केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। यूजीसी ने भी इसे डीम्ड यूनिवर्सिटी के रूप में मान्यता देने की स्वीकृति दे दी है। इसकी अधिसूचना जल्द जारी की जा सकती है।
रांची के हटिया में 1966 में इसकी स्थापना यूनेस्को के सहयोग से हुई थी। फाउंड्री फोर्ज टेक्नोलॉजी में अध्ययन और शोध के क्षेत्र में इस संस्थान की पहचान वैश्विक स्तर पर रही है। यहां छात्रों का नामांकन जेईई-आईआईटी की परीक्षा के आधार पर होता रहा है। फिलहाल इस संस्थान में देशभर से आए अलग-अलग कोर्स में एक हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें एडवांस्ड डिप्लोमा कोर्स, बीटेक, एमटेक व पीएचडी शामिल है। अब केंद्र की नयी पहल के तहत इस संस्थान का दायरा और बढ़ेगा। यहां फाउंड्री और फोर्ज के साथ-साथ उत्पादन तकनीक से जुड़े अन्य पाठ्यक्रम शुरू किये जायेंगे। फिलहाल यह हटिया झारखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी (जेयूटी) से संबद्ध है।
संस्थान के डायरेक्टर डॉ. पीपी चट्टोपाध्याय ने आईएएनएस को बताया कि डीम्ड यूनिवर्सिटी के रूप में अधिसूचित होते ही हमें नये कोर्स बनाने और छात्रों को डिग्री देने का अधिकार मिल जायेगा। नेशनल मैन्यूफैक्च रिंग इंस्टीट्यूट के रूप में संस्थान का उद्देश्य ऐसे कुशल इंजीनियर और तकनीयिशन तैयार करना है, जो आनेवाले वक्त के हिसाब से देश को औद्योगिक रूप से आगे रख पायें।
नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ एडवांस मैन्युफैक्च रिंग के जरिए केंद्र सरकार ने चीन-जापान के उच्च तकनीकी उत्पादों को चुनौती देने की तैयारी की है। कोरोना संकट और चीन के साथ तनाव के बाद पूरा जोर उच्चस्तरीय उत्पादन तकनीक विकसित करने पर है। इसमें टूल, नयी तकनीक और हाईटेक उत्पादों पर शोध होगा। इसके साथ ही मैकेनिकल मैन्युफैक्च रिंग प्रक्रिया को डिजिटल मैन्युफैक्च रिंग में बदलने की तकनीक भी विकसित की जाएगी।भावी फैक्टरियां ऑटोमेशन पर आधारित होंगी और रोबोटिक्स का इस्तेमाल बढ़ेगा। संस्थान में ऐसी चुनौतियों और भविष्य की जरूरतों के अनुसार पाठ्यक्रम शुरू किये जायेंगे। इस संस्थान के लिए नये भवन का निर्माण 21 करोड़ रुपए की लागत से किया जा रहा है।
इस संस्थान को इंस्टीटयूट ऑफ एडवांस मैन्युफैक्च रिंग के रूप में विकसित करने की पहल 2015 में ही हुई थी। केंद्र के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस संस्थान की संभावनाओं के अध्ययन के लिए कल्याणी समूह के चेयरमैन उद्योगपति बाबा कल्याणी की अध्यक्षता में एक कमिटी गठित की थी। कमेटी ने अध्ययन के बाद बाद पाया इसेअंतरराष्ट्रीय स्तर का शोध संस्थान बनाने की सभी संभावनाएं हैं। इसके बाद आईआईटी खड़गपुर के पूर्व निदेशक प्रो. अमिताभ घोष की अध्यक्षता में भी एक समिति बनी, जिसने संस्थान को एनआईटीएसईआर एक्ट के तहत सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन एडवांस्ड मैन्युफैक्च रिंग टेक्नोलॉजी के रूप में विकसित करने की अनुशंसा की।
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Source : IANS