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मुंबई के झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों के रहन-सहन की स्थिति को लेकर एनएचआरसी चिंतित

मुंबई के झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों के रहन-सहन की स्थिति को लेकर एनएचआरसी चिंतित

Updated on: 07 Jan 2022, 06:25 PM

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मुंबई में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों की रहने की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है और महाराष्ट्र सरकार और केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है।

महाराष्ट्र ने अपने मुख्य सचिव के माध्यम से जवाब दिया कि प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी), पीएमएवाई (यू) के तहत राज्य और केंद्रीय सहायता के साथ आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों को आवास इकाइयां प्रदान करने के लिए कई प्रयास किए गए हैं और योजनाएं तैयार की गई हैं। एनएचआरसी ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि धन की कमी को एक बाधा के रूप में पेश किया गया है।

केंद्र ने अपनी ओर से जवाब दिया कि महाराष्ट्र में 2.24 लाख घरों में से 2 लाख अकेले मुंबई के लिए स्वीकृत किए गए थे, जिनमें से 58,225 को बंद कर दिया गया है। आयोग ने व्यापक रिपोर्ट देने के लिए केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव से जवाब मांगा है।

आयोग ने कहा कि उन्हें चार सप्ताह का समय दिया गया है।

केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने 3 दिसंबर, 2021 को अपने संचार में प्रस्तुत किया कि भूमि और उपनिवेश राज्य के विषय हैं। केंद्र प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) के माध्यम से शहरी क्षेत्रों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की आवास जरूरतों को पूरा करने के लिए राज्य के प्रयासों को बढ़ा रहा है।

इससे पहले पिछले साल जून में, मानवाधिकार कार्यकर्ता अधिवक्ता राधाकांत त्रिपाठी द्वारा दायर एक याचिका पर विचार करते हुए, एनएचआरसी ने कोविड-19 महामारी के दौरान बेघर लोग और बच्चे, लाखों लोगों की दुर्दशा पर गृह, स्वास्थ्य और आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन सहित विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों के सचिवों से जवाब मांगा था।

कार्यकर्ता की दलील में कहा गया है कि सड़क पर लाखों बच्चों सहित लाखों बेघर लोग लंबे समय से वायरस और उसके बाद के लॉकडाउन उपायों के कारण बेहद पीड़ित हैं।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.