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क्या है नेशनल हेराल्ड केस (National Herald Case), क्यों आरोपी हैं राहुल और सोनिया गांधी?

कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगा कि पार्टी ने बिना किसी ब्याज के एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड कंपनी को 90 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था।

Updated on: 28 Feb 2019, 10:43 AM

नई दिल्ली:

National Herald Case - नेशनल हेराल्ड केस में दिल्ली हाई कोर्ट से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को राहत नहीं मिली है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी BJP) नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर चल रहा यह मुकदमा नेशनल हेराल्ड अखबार के मालिकाने को लेकर है। सुब्रमण्यम स्वामी ने साल 2012 में ट्रायल कोर्ट के सामने शिकायत की थी कि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल Associated Journals Limited AJL) के अधिग्रहण में धोखाधड़ी की थी। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी थी।

नेशनल हेराल्ड अखबार की शुरुआत 1938 में जवाहर लाल नेहरू ने की थी। साल 2008 में अखबार को कर्ज में होने के कारण बंद करना पड़ा था। कांग्रेस ने 2010 में 5 लाख रुपये की पूंजी लगाकर यंग इंडिया प्राइवेट कंपनी बनाई जिसमें राहुल गांधी और सोनिया गांधी की हिस्सेदारी 38-38 फीसदी थी। वहीं बांकी की 12-12 फीसदी हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के पास थी।

कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगा कि पार्टी ने बिना किसी ब्याज के एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड कंपनी को 90 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था। वहीं यंग इंडिया ने नेशनल हेराल्ड की संपत्ति को सिर्फ 50 लाख रुपये में खरीद ली थी जिसकी कीमत करीब 1600 करोड़ रुपये थी।

बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया था कि हेराल्ड की संपत्ति को गलत तरीके से इस्तेमाल में लिया गया है। सुब्रमण्यम स्वामी ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी के खिलाफ कर चोरी और धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया था।

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने शिकायत के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर प्राथमिक जांच का आदेश दिया था। जिसके बाद कांग्रेस नेताओं ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। बाद में यंग इंडिया पर आयकर जमा नहीं करने का भी आरोप लगा था।

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बता दें कि यंग इंडिया ने अदालत से समीक्षा वर्ष 2011-12 के लिए आयकर अधिनियम की धारा 156 के तहत 249.15 करोड़ रुपये की कर और ब्याज वसूली के लिए 27 दिसंबर को जारी की गई नोटिस पर रोक लगाने का अनुरोध किया था।

कंपनी ने कहा था कि वह एक चैरिटेबल संस्था है और इसकी कोई आय नहीं है और आयकर विभाग ने गलत तरीके से समीक्षा वर्ष 2011-12 के लिए 249 करोड़ रुपये की मांग की है।