बापू की 69वीं पुण्यतिथि आज, नाथूराम गोडसे ने ऐसे रची थी हत्या की योजना
भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी।
highlights
- 30 जनवरी 1948 में नाथूराम गोडसे ने गोली मार कर गांधी जी की हत्या कर दी थी
- पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद देने से नाराज था गोडसे
- हे राम के साथ दुनिया को अलविदा कह दिया
नई दिल्ली:
भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। गांधी जी को आदर्श मानने वाले नाथूराम गोडसे ने पाकिस्तान के विभाजन के फैसले के विरोध में इस कदम को उठाया था।
गोडसे ने गांधी जी पर एक के बाद एक करके तीन गोलियां दाग दीं जब तक किसी को कुछ समझ आता बापू की मौत हो चुकी थी। गांधी जी की हत्या करने के बाद गोडसे ने आत्मसमर्पण कर दिया था। गोडसे समेत 17 दोषियों पर गांधी की हत्या का मुकदमा चलाया गया था। l
पाकिस्तान को दी जाने वाली 55 करोड़ की आर्थिक मदद के लिए गांधी जी सहमति के बाद ही गोडसे को हत्या करने की योजना बनाई। इस योजना में उसके साथ नारायण आप्टे और विष्णु रामकृष्ण करकरे भी शामिल थे।
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योजना के अनुसार करकरे ने पहले ही दिल्ली पहुंचकर माहौल का जायजा लिया। फिर 27 जनवरी को आप्टे और गोडसे दिल्ली पहुंचे। हालांकि दिल्ली पहुंचने के बाद गोडसे को मालूम चला कि रिवाल्वर का इंतजाम नहीं हो पाया है। इसके बाद एक तरकीब के तहत भोपाल से एक सेमी-ऑटोमैटिक रिवाल्वर का इंतजाम किया गया।
30 जनवरी को दोपहर करीब 3 बजे गोडसे, आप्टे और करकरे बिड़ला हाउस के लिए निकले। गोडसे ने आप्टे और करकरे से कहा कि पहले वो हाउस में घुसेगा, बाद में वो दोनों आएंगे। गोडसे जब बिड़ला हाउस पहुंचा तो वहां कुछ खास तलाशी नहीं हो रही थी, जिस कारण वह आराम से पिस्तौल लेकर अंदर घुस गया।
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प्रार्थना सभा की ओर जा रहे गांधी जी के करीब पहुंचते ही गोडसे ने उन्हें तीन गोलियां मार दी। गांधी जी ने तीन अक्षर... हे राम के साथ दुनिया को अलविदा कह दिया।
गांधी जी की हत्या करने का यह पहला प्रयास नहीं था। इससे पहले 20 जनवरी 1948 को ही प्रार्थना सभा से करीब 75 फीट दूर एक बम फेंका गया था। इस कांड के दौरान मदनलाल पाहवा नाम का एक व्यक्ति गिरफ्तार किया गया था, जबकि 6 अन्य लोग टैक्सी से भाग गए थे।
गांधी जी को मारने की 1934 से यह पांचवीं कोशिश थी।
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