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फाइल फोटो
नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार भ्रष्टाचार के मामले पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है. सरकार के हाल के कदमों को देखकर तो यही लग रहा है. मोदी सरकार ने बैंकों, सार्वजनिक उपक्रमों और सरकारी विभागों से कर्मचारियों के सेवा रिकॉर्ड की समीक्षा करने को कह दिया है. सरकार की योजना इस कदम के जरिए भ्रष्ट कर्मचारियों को नौकरियों से हटाने की है.
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नियमों के तहत हो कर्मचारियों के कामकाज की समीक्षा
कार्मिक मंत्रालय ने केंद्र के सभी विभागों से कहा है कि कर्मचारियों के कामकाज की समीक्षा नियमों के तहत हो ऐसा निश्चिततौर पर सुनिश्चित कर लें ताकि किसी ईमानदार सरकारी कर्मचारी के खिलाफ जबरन सेवानिवृत्ति की कार्रवाई नहीं हो जाए.
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भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ हो सख्त कार्रवाई
कार्मिक मंत्रालय के मुताबिक मंत्रालय और सरकारी विभाग को निर्देश दिया गया है कि जो भी सरकारी कर्मचारी ईमानदारी से काम नहीं कर रहे हैं उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए. साथ ही ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ जबरन रिटायरमेंट की प्रक्रिया का भी कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए.
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हर महीने 15 तारीख को देनी होगी रिपोर्ट
इसके लिए सभी सरकारी संगठनों को हर महीने 15 तारीख को रिपोर्ट देनी होगी. 15 जुलाई 2019 से रिपोर्ट देने की प्रक्रिया शुरू होगी. नियम 56 (J), (I) और केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1972 के नियम 48 के तहत कार्मिक मंत्रालय के निर्देश के अनुसार सरकारी कर्मचारियों के सेवा रिकॉर्ड की समीक्षा की जानी है.
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बता दें कि सेंट्रल गवर्नमेंट ने हाल में 15 वरिष्ठ अधिकारियों को अनिवार्य रूप से रिटायरमेंट दे दिया था. ये 15 वरिष्ठ अधिकारी मुख्य अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के प्रधान आयुक्त, आयुक्त, और उपायुक्त के रैंक के हैं. इन अधिकारियों को ऑर्टिकिल 56 के तहत रिटायरमेंट दिया गया है.
HIGHLIGHTS
- नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार की भ्रष्टाचार के मामले पर जीरो टॉलरेंस की नीति
- बैंकों, सार्वजनिक उपक्रमों और सरकारी विभागों से कर्मचारियों के सेवा रिकॉर्ड की समीक्षा करने को कहा
- सेंट्रल गवर्नमेंट ने हाल में 15 वरिष्ठ अधिकारियों को अनिवार्य रूप से रिटायरमेंट दे दिया था