नदियों के नाम पर देश का सबसे बड़ा रीवर फेस्टिवल 'नमामि ब्रह्मपुत्र' का राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उद्घाटन किया। मुखर्जी ने कहा कि 1 . 3 अरब की जनसंख्या के बावजूद विविधता में एकता भारत की सबसे बड़ी मजबूती है। उन्होनें कहा कि भारत तार्किक हो सकता है लेकिन असहिष्णु नहीं। उन्होंने कहा, 'अगर यह कहा जाए कि भारतीय तार्किक होते हैं, मैं सहमत हो जाउंगा। लेकिन अगर यह कहा जाए कि भारतीय असहिष्णु होते हैं तो मैं सहमत होने से इंकार करूंगा। असहिष्णुता को कभी जगह नहीं मिली।'
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राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि महान सभ्यता का उदय महान नदियों के तट पर हुआ। ब्रह्मपुत्र नार्थईस्ट की लाइफलाइन है। सरकार को ब्रह्मपुत्र का इतिहास और महत्व बताने के लिए इस पर रेगुलरली रिवर क्रूज चलाना चाहिए। ब्रह्मपुत्र बहुत समृद्ध है। असम साउथ ईस्ट एशिया का हब बनने जा रहा है।यह एक वैश्विक बाजार के रूप में उभर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नमामि ब्रह्मपुत्र महोत्सव के लिए शुभकामनाएं दी हैं। यह उत्सव असम में 31 मार्च से चार अप्रैल के बीच मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, 'यह गर्व की बात है कि असम सरकार ने नमामि ब्रह्मपुत्र महोत्सव की शुरुआत की है। इस महोत्सव के लिए शुभकामनाएं।'
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मोदी ने कहा, 'ब्रह्मपुत्र असम और उत्तरपूर्व की जीवन रेखा है और इस क्षेत्र के लोगों की अजीविका का साधन है।' प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में भारतवासियों को देश के विकास हेतु नदियों की सफाई के लिए साथ मिलकर काम करने का सुझाव दिया।
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असम के 21 जिलों में इसकी शुरूआत होगी। इस मौके पर धर्मगुरू दलाई लामा और केंद्रीय मंत्रियों के साथ भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे, असम के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित, अरुणाचल प्रदेश के गवर्नर पीबी आचार्य और असम के मुख्यमंत्री भी शामिल हुए।
IANS के इनपुट के साथ
Source : News Nation Bureau