जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के लापता छात्र नजीब अहमद मामले में दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को जेएनयू के नौ छात्रों को अदालत में छह अप्रैल को पेश होने के लिए कहा है। अदालत छह अप्रैल को इन छात्रों से मामले में लाई डिटेक्टर टेस्ट कराने पर सहमति या इनकार दर्ज करेगी।
मुख्य महानगर दंडाधिकारी सुमित दास ने मामले की अगली सुनवाई छह अप्रैल तक के लिए स्थगित करते हुए छात्रों को अनिवार्य रूप से अदालत में हाजिर होने के लिए कहा।
अदालत ने छात्रों की ओर से दाखिल उस आग्रह को खारिज कर दिया, जिसमें छात्रों ने कहा था कि ऐसा कोई कानून नहीं है, जिसके तहत कोई अदालत लाई डिटेक्टर टेस्ट में शामिल होने का आदेश दे।
छात्रों की ओर से वकील ने अदालत से कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अनुसार, लाई डिटेक्टर टेस्ट कानूनी तौर पर विधिमान्य नहीं है और जब तक कोई स्वेच्छा से इसके लिए तैयार न हो इसे अवैध माना जाना चाहिए।
इस पर अदालत ने कहा, 'लाई डिटेक्टर टेस्ट या पॉलीग्राफ टेस्ट जांच के दौरान जरूरत या संदर्भ के आधार पर होना चाहिए। यह किसी जांच एजेंसी का विशेषाधिकार है।'
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 22 दिसंबर, 2016 को दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि छात्रों का लाई डिटेक्टर टेस्ट करवाया जाए।
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने अदालत से कहा था कि अब तक जेएनयू के नौ छात्र जांच में शामिल नहीं हुए हैं।
जेएनयू में एम.एससी. प्रथम वर्ष का छात्र 27 वर्षीय नजीब पिछले वर्ष अक्टूबर से ही छात्रावास से लापता है। कथित तौर पर लापता होने से पहले नजीब के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्यों ने मारपीट की थी।
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Source : IANS