Maoist Links Case: जीएन साईबाबा बरी, गढ़चिरौली कोर्ट ने दी थी उम्रकैद
Maoist Links Case: प्रतिबंधित माओवादी संगठन से संबंध रखने के आरोपों में उम्रकैद की सजा पाए जीएन साईबाबा को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच (Nagpur Bench of Bombay High Court) ने बरी कर दिया है. दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रहे जीएन साईबाबा (Former Delhi University professor GN Saibaba) के साथ ही 5 अन्य लोगों को भी बरी कर दिया गया है.
highlights
- जीएन साईबाबा शारीरिक रूप से 90 फीसदी दिव्यांग
- साल 2014 में साईबाबा को किया गया था गिरफ्तार
- गढ़चिरौली कोर्ट ने 2017 में सुनाई थी उम्रकैद की सजा
नागपुर/नई दिल्ली:
Maoist Links Case: प्रतिबंधित माओवादी संगठन से संबंध रखने के आरोपों में उम्रकैद की सजा पाए जीएन साईबाबा को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच (Nagpur Bench of Bombay High Court) ने बरी कर दिया है. दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रहे जीएन साईबाबा (Former Delhi University professor GN Saibaba) के साथ ही 5 अन्य लोगों को भी बरी कर दिया गया है. इन सभी 6 लोगों को गढ़चिरौली की कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय ने जीएन साईबाबा को नौकरी से हटा दिया था. जीएन साईबाबा (GN Saibaba) को साल 2017 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.
साल 2014 में गिरफ्तारी, 2017 में मिली थी उम्रकैद की सजा
बता दें कि जीएन साईबाबा शारीरिक रूप से 90 फीसदी दिव्यांग हैं. उन्हें साल 2014 में गिरफ्तार किया गया था. वो दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) के रामलाल कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर के तौर पर काम कर रहे थे और आदिवासियों की आवाज बनकर उभरे थे. इसके बाद उन्हें 9 मई 2014 को गिरफ्तार किया गया था. उन्हें गढ़चिरौली कोर्ट में उम्रकैद की सजा मिली थी, जिसे बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने पलट दिया है. जीएन साईबाबा के साथ जेएनयू के पूर्व छात्र हेम मिश्रा को भी गिरफ्तार किया गया था.
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