नगा राजनीतिक गतिरोध और अलग राज्य की मांग समेत कई मुद्दों का समाधान न होने व सत्ता विरोधी लहर के बावजूद आगामी विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ दलों को बड़ी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ सकता है, क्योंकि मजबूत विपक्ष का अभाव है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) ने 60 सदस्यीय नागालैंड विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पिछले साल जुलाई में सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप दिया था। विपक्षी कांग्रेस चुनाव से पहले समान विचारधारा वाले दलों के साथ धर्मनिरपेक्ष गठबंधन बनाने की इच्छुक थी।
भारत की पहली सर्वदलीय और विपक्ष-रहित सरकार, एनडीपीपी के नेतृत्व वाली संयुक्त जनतांत्रिक गठबंधन (यूडीए) में व्यावहारिक रूप से कुछ नगा निकायों और गैर सरकारी संगठनों को छोड़कर कोई मजबूत विपक्ष नहीं है। 12 सदस्यों वाली भाजपा भी यूडीए की सहयोगी है।
चुनाव पूर्व सौदे के अनुसार, एनडीपीपी 40 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और भाजपा शेष 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
साल 2013 के विधानसभा चुनावों में उग्रवाद और अन्य कठिन परिस्थितियों के अपने सबसे खराब दौर के दौरान लगभग 15 वर्षो तक पूर्वोत्तर राज्य पर शासन करने वाली कांग्रेस ने 8 सीटें हासिल कीं, लेकिन 2018 के पिछले विधानसभा चुनावों में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली।
नागालैंड राज्य कांग्रेस अध्यक्ष के. थेरी ने कहा कि राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए वोट विभाजन को रोकने और भाजपा को हराने के लिए समान विचारधारा वाले दलों के साथ धर्मनिरपेक्ष गठबंधन का गठन समय की तत्काल जरूरत है।
हालांकि, उन्होंने उन दलों के नामों का खुलासा नहीं किया, जिनके साथ कांग्रेस प्रस्तावित धर्मनिरपेक्ष गठबंधन बनाएगी।
थेरी ने आईएएनएस से कहा, अभी तक किसी भी पार्टी ने हमारी अपील का जवाब नहीं दिया है। अगर कोई पार्टी धर्मनिरपेक्ष मोर्चा बनाने के लिए आगे नहीं आती है, तो हम अपने दम पर 60 उम्मीदवारों को मैदान में उतारेंगे।
सभी पूर्व कांग्रेस नेताओं, कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों से ईसा-विरोधी, ईसाई-विरोधी, मुस्लिम-विरोधी और महिला-विरोधी ताकतों के खिलाफ लड़ने के लिए पार्टी में शामिल होने का आग्रह करते हुए, थेरी ने कहा कि एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक सरकार आवश्यक है नागालैंड में बाधाओं को दूर करने और नागा राजनीतिक मुद्दे को हल करने के लिए।
विधानसभा चुनाव से कई महीने पहले एनडीपीपी-भाजपा सीट बंटवारे की व्यवस्था की आलोचना करते हुए कांग्रेस नेता ने दावा किया कि गठबंधन नगा मुद्दे के राजनीतिक समाधान से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश है, जिसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।
नगा राजनीतिक मुद्दे के समाधान की मांग के समर्थन में नगालैंड कांग्रेस ने राज्य के सभी 60 विधायकों से इस्तीफा देने को कहा है।
थेरी ने कहा कि उनकी पार्टी ने प्रभावशाली पूर्वी नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) द्वारा उठाए गए एक अलग राज्य - फ्रंटियर नागालैंड के निर्माण की मांग का कड़ा विरोध किया।
थेरी ने कहा, हम नागालैंड का और विभाजन नहीं चाहते हैं। हालांकि, प्रस्तावित फ्रंटियर नागालैंड के तहत आने वाले क्षेत्र वर्तमान सरकार के कुशासन के कारण पिछड़े हुए हैं।
ईएनपीओ 2010 से अलग राज्य की मांग कर रहा है और दावा करता है कि छह जिले- मोन, त्युएनसांग, किफिरे, लोंगलेंग, नोक्लाक और शामतोर- वर्षो से उपेक्षित हैं।
प्रभावशाली नागा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप्स (एनएनपीजी) ने कहा कि 1998 में कांग्रेस ने समाधान के बजाय चुनाव कराकर नागा लोगों की इच्छाओं के खिलाफ जाकर काम किया।
एनएनपीजी ने कहा, वे (कांग्रेस) निर्विरोध सत्ता में आ गए। मगर वे लोगों की आकांक्षा पूरी करने में विफल रहे और मानते थे कि उन्होंने नागालैंड में अन्य सभी क्षेत्रीय दलों का सफाया कर दिया है। नगा लोगों ने तुरंत कांग्रेस को बाहर का रास्ता दिखाकर जवाब दिया। दुख की बात है कि कांग्रेस अब लोगों का विश्वास हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही है।
नागा राजनीतिक उलझन का समाधान नागालैंड में सबसे बड़ा मुद्दा है और राज्य सरकार और सभी पार्टियां विधानसभा चुनाव से पहले दशकों पुराने मुद्दे के समाधान की मांग करती रही हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की हाल की नागालैंड यात्रा दो महत्वपूर्ण मुद्दों - नागा राजनीतिक मुद्दे और अलग राज्य की मांग पर बर्फ नहीं पिघला सकी।
नागालैंड पीपुल्स एक्शन कमेटी (एनपीएसी) और नागरिक समाज संगठनों के कार्यकर्ताओं ने दीमापुर हवाईअड्डे के बाहर तख्तियां और बैनर प्रदर्शित कर शाह का स्वागत किया।
नागालैंड सरकार की बार-बार अपील के बावजूद ईएनपीओ अपनी मांग पूरी नहीं होने पर विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने पर अड़ा रहा।
यूडीए सरकार ने हाल ही में एक बार फिर ईएनपीओ से अलग राज्य की उनकी मांग पर पुनर्विचार करने और आगामी विधानसभा चुनावों का बहिष्कार नहीं करने को कहा।
फोन पर आईएएनएस से बात करते हुए ईएनपीओ के सचिव डब्ल्यू मनवांग कोन्याक ने कहा कि अगर चुनाव से पहले उनकी मांग नहीं मानी गई तो वे विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने पर अड़े हैं।
नागालैंड सरकार की अपील के बारे में एक सवाल के जवाब में ईएनपीओ नेता ने कहा, हम केंद्र सरकार के जवाब का इंतजार कर रहे हैं। अलग राज्य की मांग पर चर्चा करने के लिएकेंद्रीय गृहमंत्री इस महीने के अंत में फिर से नागालैंड के त्युएनसांग आएंगे और उनके हमारे क्षेत्र का दौरा करने की उम्मीद है।
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Source : IANS