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माईलैन को भारत में कोरोना वायरस की दवा उतारने की मिली अनुमति( Photo Credit : File Photo)
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दवा कंपनी माईलैन एनवी को भारतीय दवा नियंत्रक से घरेलू बाजार में रेमडिसिविर उतारने और विनिर्माण की अनुमति मिल गयी है. कंपनी ने सोमवार को जानकारी दी कि इस दवा को कोविड-19 (Covid-19) के सीमित और आपात इलाज में उपयोग करने की इजाजत होगी.
माईलैन को भारत में कोरोना वायरस की दवा उतारने की मिली अनुमति( Photo Credit : File Photo)
दवा कंपनी माईलैन एनवी को भारतीय दवा नियंत्रक से घरेलू बाजार में रेमडिसिविर उतारने और विनिर्माण की अनुमति मिल गयी है. कंपनी ने सोमवार को जानकारी दी कि इस दवा को कोविड-19 (Covid-19) के सीमित और आपात इलाज में उपयोग करने की इजाजत होगी. कंपनी ने एक बयान में कहा कि इसकी प्रत्येक 100 मिलीग्राम शीशी की कीमत 4,800 रुपये होगी. यह इस माह से मरीजों के लिए बाजार में उपलब्ध होगी. कंपनी ने इसके उत्पादन के लिए घरेलू दवा कंपनी सिप्ला और हेटेरो के साथ गठजोड़ किया है. इन दोनों कंपनियों को इसके उत्पादन और विपणन के लिए दवा नियंत्रक डीसीजीआई से अनुमति मिल चुकी है.
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माईलैन ने कहा कि कंपनी की 100 मिलीग्राम रेमडिसिविर की शीशी को देश में कोविड-19 के सीमित इलाज में उपयोग की अनुमति मिली है. यह दवा अस्पताल में भर्ती उन वयस्कों और बच्चों पर उपयोग की जा सकेगी जिनमें कोरोना वायरस के गंभीर लक्षण हैं. बयान के मुताबिक भारत में इसे ‘डीसरेम’ ब्रांड नाम के तहत उतारा जाएगा. यह जुलाई में भारतीय बाजार में उपलब्ध हो जाएगी. इसकी कीमत 4,800 रुपये प्रति शीशी होगी जो इसके ब्रांडेड संस्करण से 80 प्रतिशत से भी अधिक सस्ती है. इसका ब्रांडेड संस्करण विकसित देशों की सरकार को उपलब्ध है.
माईलैन से पहले दो भारतीय कंपनियों सिप्ला लिमिटेड (Cipla Ltd.) और हेटेरो लैब्स लिमिटेड (Hetero Labs Ltd.) ने पहले ही इस दवा की जेनेरिक वर्ज़न को लॉन्च कर दिया है. सिप्ला ने Cipremi नाम की इस दवा का दाम 5,000 रुपये और हेटेरो ने Covifor का दाम 5,400 रुपये रखा था.
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Mylan NV का कहना है कि वो भारत स्थित अपने फैसिलिटीज में ही रेमडेसिवीर की दवा बनाएगी. कंपनी ने कहा कि कोविड-19 संक्रमण से जूझ रहे उन मरीजों के लिए इस दवा को इस्तेमाल की मंजूरी मिली है, जिनकी हालत गंभीर है. व्यस्कों और बच्चों के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा.
बता दें कि गिलीड ने अमीर देशों के लिए रेमडेसिवीर दवा की कीमत 2,340 डॉलर प्रति मरीज रखा है. कंपनी अगले तीन महीने अपनी कुल सप्लाई का करीब आधा हिस्सा अमेरिका भेजने पर सहमत है. इसके बाद दुनियाभर के अन्य देशों में इस दवा की उपलब्धता को लेकर चिंता बढ़ गई है.
Source : News Nation Bureau