सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) टीएस ठाकुर ने समाज में शांति के लिए सहनशीलता पर जोर देते हुए कहा, 'इंसान और ईश्वर के बीच का रिश्ता 'बहुत ही निजी' है। इसे किसी को भी व्यवसाय नहीं बनाना चाहिए।'
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रोहिंटन एफ नरीमन की ओर से पारसी धर्म पर लिखी गई एक किताब के विमोचन के दौरान न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि जितने लोग राजनीतिक विचारधाराओं के कारण नहीं मारे गए, उससे कहीं ज्यादा लोगों की जान धार्मिक युद्धों में गई है।
टीएस ठाकुर ने किताब 'The Inner Fire, faith, choice and modern-day living in Zoroastrianism' के विमोचन पर कहा कि धार्मिक मान्यताओं के कारण विश्व में आपसी टकराव, विनाश और खून खराबे हुए हैं।
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उन्होंने कहा कि इस दुनिया में राजनीतिक विचारधाराओं से कहीं ज्यादा जानें धार्मिक युद्धों में गई हैं। ज्यादा इंसानों ने एक-दूसरे की हत्या की है, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनका रास्ता अन्य की तुलना में कहीं अधिक बेहतर है। धार्मिक मान्यताओं की वजह से ही इस दुनिया में ज्यादा तबाही, नुकसान और खून-खराबे हुए हैं।’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘मेरा धर्म क्या है? मैं ईश्वर से खुद को कैसे जोड़ता हूं? ईश्वर से मेरा कैसा रिश्ता है? इन चीजों से किसी और को कोई मतलब नहीं होना चाहिए। आप अपने ईश्वर के साथ अपना रिश्ता चुन सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि इंसान और ईश्वर के बीच का रिश्ता ‘ बेहद निजी और व्यक्तिगत’ होता है। इससे किसी और को कोई मतलब नहीं होना चाहिए।’
न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, ‘मेरा मानना है कि भाईचारा, सहनशीलता का संदेश और यह स्वीकार करना कि सभी रास्ते एक ही मंजिल और एक ही ईश्वर की तरफ जाते हैं, से विश्व में शांति और समृद्धि आएगी।'
HIGHLIGHTS
- राजनीतिक विचारधाराओं के कारण पनपे धार्मिक युद्ध से कई लोगों का जीवन प्रभावित हुआ
- किसी को भी अपनी विचारधारा थोपने का कोई अधिकार नहीं
Source : News Nation Bureau