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मुजफ्फरपुर बालिका आश्रय गृह कांड: पूर्व मंत्री मंजू वर्मा की गिरफ्तारी नहीं होने से नाराज़ SC ने बिहार सरकार को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'बिहार में सबकुछ ठीक नहीं है, पूर्व मंत्री अब तक छिपी हुई हैं और बिहार सरकार ज़मानत याचिका ख़ारिज़ होने के बावजूद उन्हें ढूंढ़ने में अब तक नाकाम रही है.'

Updated on: 31 Oct 2018, 03:27 PM

नई दिल्ली:

मुजफ्फरपुर बालिका आश्रय गृह (Muzaffarpur shelter home case) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार की पूर्व मंत्री मंजू वर्मा की अब तक गिरफ्तारी नहीं होने को लेकर नाराज़गी ज़ाहिर की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'बिहार में सबकुछ ठीक नहीं है, पूर्व मंत्री अब तक छिपी हुई हैं और बिहार सरकार ज़मानत याचिका ख़ारिज़ होने के बावजूद उन्हें ढूंढ़ने में अब तक नाकाम रही है.'  

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भी बिहार पुलिस से नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए पूछा था कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह कांड (Muzaffarpur shelter home case) के मद्देनजर इस्तीफा देने वाली बिहार की पूर्व मंत्री मंजू वर्मा के घर से हथियार बरामद होने से संबंधित मामले में पूर्व मंत्री को क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया है. इसी आश्रय गृह में कई लड़कियों से कथित तौर पर बलात्कार हुआ था.

पूर्व मंत्री के पति चंद्रशेखर वर्मा ने हथियार मामले में सोमवार को बेगूसराय की अदालत में आत्मसमर्पण किया था. न्यायमूर्ति एमबी लोकुर, न्यायमूर्ति एसए नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामले में प्रमुख आरोपी ब्रजेश ठाकुर को बिहार की भागलपुर जेल से पंजाब में कड़ी सुरक्षा वाली पटियाला जेल भेजा जाए.

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) द्वारा राज्य के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गई एक ऑडिट रिपोर्ट में यह मामला सबसे पहले प्रकाश में आया था.

इससे पहले शीर्ष अदालत में मामले में जांच से संबंधित विस्तृत सूचनाओं को न्यायालय ने 'भयावह' और 'डरावना' बताया था.

शीर्ष अदालत ने ठाकुर के खिलाफ सीबीआई द्वारा पेश आरोपों पर भी संज्ञान लिया और उन्हें नोटिस जारी कर यह पूछा था कि उन्हें राज्य से बाहर की जेल में क्यों नहीं रिपीट नहीं भेजा जाना चाहिए.

सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि ठाकुर एक प्रभावशाली व्यक्ति है और जिस जेल के अंदर फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में हैं, वहां उनके पास से एक मोबाइल फोन बरामद किया गया था.

शीर्ष अदालत ने बिहार पुलिस से यह भी कहा कि वह भारी मात्रा में हथियार बरामदगी मामले में पूर्व मंत्री और उनके पति से पूछताछ करे.

मुजफ्फरपुर आश्रय गृह (Muzaffarpur shelter home case) में यौन उत्पीड़न मामले के मद्देनजर बिहार सरकार में समाज कल्याण मंत्री रहीं वर्मा को इस्तीफा देना पड़ा था.

शीर्ष अदालत ने 18 सितंबर को मामले में जांच के लिये सीबीआई की एक नयी टीम के गठन से संबंधित पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर यह कहकर रोक लगा दी कि इससे ना सिर्फ जारी जांच पर असर पड़ेगा बल्कि यह पीड़ितों के लिये भी नुकसानदायक होगा.

चिकित्सकीय जांच में आश्रय गृह की 42 में से 34 पीड़िताओं के यौन उत्पीड़न की पुष्टि हुई. टीआईएसएस की ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया कि आश्रय गृह की कई लड़कियों ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी.

और पढ़ें- मुजफ्फरपुर बालिका आश्रय गृह कांड: सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को पटियाला जेल में किया ट्रांसफर

ठाकुर समेत 11 लोगों के खिलाफ 31 मई को प्राथमिकी दर्ज की गयी. बाद में इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गयी थी.