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Assam: असम में मुसलमानों को मिलेगी नागरिकता, जानें इसके लिए क्या है शर्तें

सीएम हेमंता ने शिक्षा पर भी बात की. उन्होंने अपील करते हुए कहा कि मुस्लिम समाज के लोगों को मदरसा में पढ़ाई नहीं करने चाहिए.

Updated on: 24 Mar 2024, 03:28 PM

नई दिल्ली:

Assam: पूरे देश में सीएए कानून लागू हो चूका है. इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से गाइलाइन जारी कर दी गई है. अब असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने बंग्लादेश से आए लोगों को नागरिकता देने की बात की है. सीएम बिस्वा ने इसके लिए कुछ शर्तें रखी हैं. आपको बता दें कि असम सरकार की ओर से इसके लिए पूरी ड्राफ्ट तैयार की जा चूकी है. आपको बता दें कि बंग्लादेश के रहने वाले मुसलमानों को मियां कहा जाता है. इस संबंध में सीएम सरमा ने शनिवार को कहा कि लोगों को असम समाज का हिस्सा बनने के लिए कुछ नियमों और मानकों का पालन करना होगा.

गौरतलब है कि सीएम सरमा ने बंग्लादेशी मुसलमानों को भारतीय नागरिक बनने के लिए कुछ शर्तें रखी हैं. इसके मुताबिक शख्स के परिवार में 2 बच्चे से अधिक नहीं होना चाहिए. बहुविवाह के नियमों को न मानना. बाल विवाह को रोकना और इस किसी भी रूप में बढ़ने न देना शामिल है. इसके साथ ही सीएम हिमंत ने कहा कि कुछ ग्रुप के द्वारा वैष्णव मठों पर कब्जा कर लिया गया है. इसके साथ ही उन्होंने राज्य में असम के मूल संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करते हुए इसे बढ़ावा का समर्थन किया.

बेटियों को संपत्ति में अधिकार

सीएम हिमंत ने शिक्षा पर भी बात की. उन्होंने अपील करते हुए कहा कि मुस्लिम समाज के लोगों को मदरसा में पढ़ाई नहीं करने चाहिए. इसके स्थान पर वो साइंस और मोडर्न शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मुसलमानों को मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसे पढ़ाई करनी चाहिए. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बेटियों को भी पढ़ना जरूरी है. इसके साथ ही बेटियों को पूर्वजों की संपत्ति में भी बराबर का हिस्सा मिलना चाहिए. 

37 फिसदी आबादी असमिया भाषी मुसलमान

आपको बता दें कि साल 2022 में असम कैबिनेट ने करीब 40 लाख मुसलमान जो असम में लंबे समय से रह रहे हैं और असमी भाषा जानते हैं उन्हें असमिया मुसलमान का दर्जा दिया है. आपको बता दें कि राज्य में कुल मुस्लिम पोपुलेशन का 37 फिसदी आबादी असमिया भाषी के स्वदेशी मुलमान है. वहीं, बाकी की 63 फिसदी मुसलमान बंगाली मुस्लिम है.