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मुस्लिम युवक बनेगा लिंगायत मठ का मुख्य पुजारी, पिता ने दान की थी जमीन

कर्नाटक के लिंगायत मठ ने अपनी सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए एक मुस्लिम युवक को मठ का मुख्य पुरानी बनाने का फैसला लिया है.

Updated on: 20 Feb 2020, 10:50 AM

हुबली:

उत्तर कर्नाटक के गडग जिले में स्थित एक लिंगायत मठ में सदियों पुरानी परंपरा टूटने जा रही है. मठ ने एक मुस्लिम युवक को अपना प्रधान पुरोहित (पुजारी) बनाने का फैसला किया है. 26 फरवरी को होने वाले एक विशेष समारोह में उन्हें यह पद दिया जाएगा. इस पद को ग्रहण करने की तैयारी में जुटे 33 साल के दीवान शरीफ रहमानसाब मुल्ला ने कहा कि वह बचपन से ही 12वीं सदी के सुधारक बसवन्ना की शिक्षाओं से प्रभावित थे और वह सामाजिक न्याय तथा सद्भाव के उनके आदर्शों पर काम करेंगे. इस मठ के लिए सालों पहले शरीफ के पिता ने दो एकड़ जमीन दान की थी.

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जानकारी के मुताबिक आसुति गांव में स्थित मुरुगराजेंद्र कोरानेश्वरा शांतिधाम मठ ने शरीफ को पुजारी बनाने का फैसला लिया है. यह मठ कलबुर्गी के खजुरी गांव के 350 साल पुराने कोरानेश्वर संस्थान मठ से जुड़ा हुआ है. खजूरी मठ के पुजारी मुरुगराजेंद्र कोरानेश्वर शिवयोगी ने कहा, 'बसव का दर्शन सार्वभौमिक है और हम अनुयायियों को जाति और धर्म की विभिन्नता के बावजूद गले लगाते हैं.

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शरीफ को मुख्य पुजारी बनाने का फैसला अचानक नहीं लिया गया. आसुति में शिवयोगी के प्रवचनों से प्रभावित होकर शरीफ के पिता स्वर्गीय रहिमनसब मुल्ला ने गांव में एक मठ स्थापित करने के लिए दो एकड़ जमीन दान की थी. शिवयोगी ने कहा कि आसुति मठ 2-3 साल से काम कर रहा है और परिसर का निर्माण जारी है। पुजारी ने कहा, 'शरीफ बसव के दर्शन के प्रति समर्पित हैं. उनके पिता ने भी हमसे 'लिंग दीक्षा' ली थी. पिछले साल 10 नवंबर 2019 को शरीफ ने 'दीक्षा' ली.

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शरीफ के मुताबिक वह बाल्यावस्था से ही बसव की शिक्षाओं के प्रति आकर्षित थे. मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि 'मैं पास के मेनासगी गांव में आटा चक्की चलाता था और अपने खाली समय में बसवन्ना और 12 वीं शताब्दी के अन्य साधुओं द्वारा लिखे गए प्रवचन करता था. मुरुगराजेंद्र स्वामीजी ने मेरी इस छोटी सेवा को पहचान लिया और मुझे अपने साथ ले लिया। मैं बसवन्ना और मेरे गुरु द्वारा प्रचारित उसी रास्ते पर आगे बढ़ूंगा.'