Advertisment

अयोध्या के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगा मुस्लिम पक्ष, पक्षकारों की मीटिंग में हुआ यह फैसला

मुस्लिम पक्षकारों ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला लिया है.

author-image
Deepak Pandey
एडिट
New Update
अयोध्या के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगा मुस्लिम पक्ष, पक्षकारों की मीटिंग में हुआ यह फैसला

अयोध्या के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगा मुस्लिम पक्ष( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

Advertisment

अयोध्या मामले (Ayodhya Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला आ गया है. मुस्लिम पक्षकारों ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला लिया है. लखनऊ स्थित इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम नदवातुल उलेमा (नदवा कॉलेज) में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया.

यह भी पढ़ेंः सोनिया गांधी-शरद पवार की बैठक टली, अब कल पुणे में होगी NCP कोर कमेटी की मीटिंग

बताया जा रहा है कि लखनऊ में यह एक अनौपचारिक मीटिंग थी, जिसमें मुस्लिम पक्ष के कई बड़े चेहरे शामिल हुए. इस दौरान सभी लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रिव्यू पिटिशन दाखिल करने पर रजामंदी जताई है. इस दौरान पक्षकारों से वकालतनामे पर हस्ताक्षर भी करवाया गया. इस मीटिंग में जफरयाब जिलानी भी शरीक हुए.

बता दें कि अयोध्या मामले पर रविवार को ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) भी बैठक करने जा रहा है. बोर्ड की बैठक से पहले ही कई मुस्लिम पक्षकार अयोध्या पर पुर्नविचार अर्जी के लिए तैयार हो गए हैं. हालांकि, इकबाल अंसारी व सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बैठक से खुद को किनारा कर लिया है. बाबरी मस्जिद मामले में 4 वादी मुलाकात में मौजूद रहेंगे.

यह भी पढ़ेंः भारत ने अग्नि-2 बैलिस्टिक मिसाइल का किया सफल परीक्षण, पाकिस्तान के गली-मोहल्ले तक होगी पहुंच

हालांकि, फिरंगी महली, कल्वे जव्वाद और इकबाल अंसारी सरीखे नेता नहीं चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुर्नविचार अर्जी दाखिल की जाए. आखिरी फैसला रविवार को होने वाली आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में किया जाएगा.

गौरलतब है कि अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की प्रस्तावित रविवार की बैठक से 2 दिन पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद (जेयूएच) ने निर्णय लिया था कि वे मस्जिद के लिए 5 एकड़ वैकल्पिक भूमि स्वीकार नहीं करेंगे. ज्ञात हो कि जेयूएच अयोध्या केस में एक प्रमुख मुस्लिम वादी रहा है.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद (जेयूएच) की कार्यकारी समिति की गुरुवार को दिल्ली में हुई बैठक में संस्था ने कहा था कि मस्जिद के लिए दी गई वैकल्पिक भूमि किसी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है, चाहे पैसा हो, या भूमि हो. जेयूएच ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर समीक्षा याचिका डालने की संभावना से इन्कार नहीं किया. जेयूएच के अध्यक्ष अरशद मदनी ने कहा कि पांच सदस्यीय तथ्यान्वेषी समिति मामले पर कानूनी राय लेगी.

उत्तर प्रदेश जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख अशद रशीदी ने कहा, कार्यकारी समिति की बैठक में दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. एक मस्जिद के लिए पांच एकड़ वैकल्पिक भूमि से संबंधित था और दूसरा एक समीक्षा याचिका दायर करने की संभावना को लेकर था. उन्होंने आगे कहा, कार्यकारी समिति ने सर्वसम्मति से फैसला लिया है कि दुनिया की किसी भी चीज से मस्जिद की बदल (वैकल्पिक) नहीं हो सकती है, चाहे वह पैसा हो या जमीन.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद की स्थापना 1919 में हुई थी. यह प्रभावशाली और आर्थिक रूप से मजबूत मुस्लिम संगठनों में से एक है. संगठन ने खिलाफत आंदोलन और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई थी. वहीं संगठन ने विभाजन का भी विरोध किया था.

Muslim side Supreme Court review petition AyodhyaVerdict Ayodhya Verdict
Advertisment
Advertisment
Advertisment