अयोध्‍या केस : राम चबूतरे को श्रीराम का जन्‍मस्‍थान मानने में हर्ज नहीं: मुस्‍लिम पक्ष

ऑल इंडिया मुस्‍लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने अयोध्‍या केस में जिरह करते हुए कहा, ऐसे कोई सबूत नहीं है कि 1949 में केंद्रीय गुम्बद में पूजा होती रही हो.

ऑल इंडिया मुस्‍लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने अयोध्‍या केस में जिरह करते हुए कहा, ऐसे कोई सबूत नहीं है कि 1949 में केंद्रीय गुम्बद में पूजा होती रही हो.

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Sunil Mishra
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अयोध्‍या केस : राम चबूतरे को श्रीराम का जन्‍मस्‍थान मानने में हर्ज नहीं: मुस्‍लिम पक्ष

राम चबूतरा ही श्रीराम का जन्‍मस्‍थान, जफरयाब जिलानी ने माना

ऑल इंडिया मुस्‍लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने अयोध्‍या केस में जिरह करते हुए कहा, ऐसे कोई सबूत नहीं है कि 1949 में केंद्रीय गुम्बद में पूजा होती रही हो. जस्टिस बोबड़े ने जिलानी से सीधा सवाल किया, आपकी बात को मानें तो इस बात को लेकर कोई विवाद नहीं है कि श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था? इस पर ज़फरयाब जिलानी ने कहा, हमें ये मानने में कोई दिक्कत नहीं कि श्रीराम ने अयोध्या में जन्म लिया था. विवाद इस बात को लेकर है कि श्रीराम का जन्मस्थान मस्जिद के अंदर नही है. जस्टिस बोबडे ने पूछा, तो आप ये मानते हैं कि राम चबूतरा जो 1885 के बाद अस्तित्व में आया, श्रीराम का जन्मस्थान है. इस पर ज़फरयाब जिलानी ने कहा, हमें ये मानने में कोई हर्ज नहीं. तीन कोर्ट इससे पहले ये बात कह चुके हैं.

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जस्टिस बोबड़े ने ज़फरयाब जिलानी से पूछा, 'क्या बाबर ने मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद का निर्माण करवाया? क्या बाबर ने ऐसी जगह पर मस्जिद का निर्माण कराया. जहां कभी मंदिर हुआ करता था? क्या बाबर ने खाली जगह पर मस्जिद पर निर्माण कराया?

इस पर जिलानी ने जवाब देते हुए कहा कि हमारा दावा है कि बाबर ने खाली जगह पर मस्जिद का निर्माण कराया. वहां कभी कोई भी मंदिर भी रहा होगा, तो वो बहुत पहले ही गायब हो चुका था. ज़मीन खाली थी, जब बाबर ने मस्जिद का निर्माण कराया.

जिलानी ने आगे कहा कि ये मस्जिद सिर्फ इसलिए चर्चा में आ गई और खास बन गई क्योंकि इसको लेकर विवाद था।वर्ना तो ये 19 वी शताब्दी की किसी दूसरी मस्जिद की तरह थी.

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ज़फरयाब जिलानी ने कहा, चाहे वाल्मिकि रामायण हो या फिर रामचरितमानस, दोनों में रामजन्मभूमि मंदिर का कोई जिक्र नहीं है. इस पर बेंच ने सवाल किया, क्या इन ग्रंथों में इनका जिक्र न होने भर से यह साबित हो जाएगा कि वहां मंदिर की मौजूदगी नहीं रही है. जस्टिस चन्दचूड़ ने जिलानी से सवाल किया कि सिर्फ इसलिए कि वाल्मिकि रामायण और रामचरितमानस में श्रीराम के जन्म के किसी 'खास जगह' का जिक्र नहीं है, इतना भर से हिन्दू नहीं मान सकते कि अयोध्या में किसी 'खास जगह' पर श्रीराम ने अवतार लिया था.

इससे पहले राजीव धवन ने दलील दी कि गर्भगृह में पूजा नहीं की गई. 1949 में वहां जबरन मूर्ति रखी गई. ग़लत तरीके से रखी मूर्ति से हिंदुओं के दावे पुख्‍ता नहीं हो जाते. धवन ने कहा, जब-जब हिन्दू पक्ष की ओर से जबरन एंट्री करने की कोशिश की गई , हमेशा मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया और अथॉरिटी ने भी मुस्लिमों के पक्ष में ही फैसला दिया.

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धवन बोले - पुराने वक्त से बादशाह की ओर से वहां मस्जिद के मुतवल्ली को मस्जिद की देखरेख के लिए 302 रुपये सालाना मिलते थे. अंग्रेजों के वक़्त में मुतवल्ली को राजस्व हासिल करने के लिए कई गांव दे दिए गए. ये दर्शाता है कि मुसलमानों का वहां पर कब्जा रहा है.

Source : अरविंद सिंह

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