मुंबई की अदालत ने पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को भगोड़ा घोषित करने की मांग वाली याचिका स्वीकार की (लीड-2)

मुंबई की अदालत ने पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को भगोड़ा घोषित करने की मांग वाली याचिका स्वीकार की (लीड-2)

मुंबई की अदालत ने पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को भगोड़ा घोषित करने की मांग वाली याचिका स्वीकार की (लीड-2)

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IANS
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Mumbai court

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

मुंबई की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में मुंबई पुलिस की उस याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें शहर के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को कथित तौर पर जबरन वसूली मामले में संलिप्तता के लिए भगोड़ा घोषित करने की मांग की गई थी।

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अदालत का यह फैसला मुंबई पुलिस द्वारा दायर एक आवेदन के बाद सामने आया है, जिसमें सिंह को भगोड़ा घोषित करने की मांग की गई थी, जो कि कई महीनों से लापता हैं।

घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने कहा, पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को भगौड़ा अपराधी घोषित करने के मुंबई पुलिस के आवेदन को स्वीकार कर लिया गया है।

पुलिस की याचिका को स्वीकार करते हुए अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एस. बी. भजपले ने सिंह के खिलाफ आदेश पारित किया।

इससे पहले, मुंबई और ठाणे की अदालतों ने मुंबई के पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था, जो वर्तमान में महाराष्ट्र होम गार्डस के महानिदेशक के रूप में नामित हैं।

इससे पहले मुंबई की अपराध शाखा ने पूर्व पुलिस आयुक्त सिंह को उपनगर गोरेगांव में एक पुलिस थाने में उनके एवं अन्य के खिलाफ दर्ज वसूली के मामले में भगोड़ा आरोपी घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की थी।

सिंह के अलावा, पुलिस ने इसी मामले में दो अन्य सह-आरोपियों - निलंबित पुलिसकर्मी रियाज भाटी और विनय उर्फ बबलू सिंह के खिलाफ भी इसी तरह की घोषणा की मांग की थी।

मुंबई के होटल व्यवसायी बिमल अग्रवाल द्वारा तीनों के खिलाफ दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर उन्हें इस मामले में आरोपी बनाया गया था। इसके अलावा बर्खास्त पुलिसकर्मी सचिन वाजे को भी जबरन वसूली के एक मामले में आरोपी बनाया गया है।

अग्रवाल ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि सिंह और वाजे ने जनवरी 2020 और मार्च 2021 में उनके रेस्तरां में छापेमारी नहीं करने के लिए उनसे 11 लाख रुपये की नकदी और कीमती सामान निकलवाए थे।

सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट भजपले को दिखाते हुए मुंबई पुलिस की ओर से पेश वकील शेखर जगताप ने कहा कि पुलिस ने वारंट को अंजाम देने के लिए आरोपी तीनों के अंतिम ज्ञात पतों पर टीमें तैनात की थीं।

हालांकि, वे उनका पता लगाने में विफल रहे और यह भी पता चला कि आरोपी उनके खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद से अपने घर नहीं गए हैं और उनके वर्तमान ठिकाने का पता नहीं है।

विभिन्न राजनेताओं द्वारा आरोप लगाया गया है कि सिंह विभिन्न मामलों में उनके खिलाफ मुंबई पुलिस द्वारा योजनाबद्ध कार्रवाई से बचने के लिए देश से बाहर निकल गए होंगे।

पुलिस ने मांग करते हुए कहा कि लापता तीनों आरोपियों को सीआरपीसी की धारा 82 के तहत फरार यानी भगोड़ा घोषित किया जाए, जिसकी अनुमति भजपले ने दे दी।

हालांकि, महाराष्ट्र में भाजपा के नेता प्रतिपक्ष प्रवीण दारेकर ने यह कहते हुए इस हालिया घटनाक्रम को खारिज कर दिया कि राज्य सरकार को राज्य परिवहन (एसटी) की हड़ताल के ज्वलंत मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

आपराधिक मामलों के जाने-माने वकील उज्ज्वल निकम ने कहा कि इसके साथ ही पुलिस 30 दिनों के नोटिस के साथ औपचारिकताएं शुरू कर सकती है और फिर आरोपी की चल-अचल संपत्ति को कुर्क किया जा सकता है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

      
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