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खत्म नहीं होगी MSP, जानें PM मोदी के किसान संबोधन की 10 बड़ी बातें

किसानों के प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने साथ कर दिया है कि वह ना तो एमएसपी को खत्म कर रही है और ना ही मंडियों को लेकर किसी भी तरह का फैसला किया. सरकार जो तीन बिल लेकर आई है वह किसानों के फायदे को देखते हुए लाई है.

Updated on: 18 Dec 2020, 03:28 PM

नई दिल्ली:

किसानों के प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने साथ कर दिया है कि वह ना तो एमएसपी को खत्म कर रही है और ना ही मंडियों को लेकर किसी भी तरह का फैसला किया. सरकार जो तीन बिल लेकर आई है वह किसानों के फायदे को देखते हुए लाई है. उन्होंने विपक्ष पर भ्रम फैसाने का आरोप लगाया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि किसान के हित में जो भी फैसले लेने पड़े उससे सरकार पीछे नहीं हटेगी. जानें प्रधानमंत्री के संबोधन की 10 बड़ी बातें.   

  1. हमारी सरकार ने न सिर्फ एमएसपी में बढ़ोतरी की, बल्कि पहले के मुकाबले ज्यादा फसल को खरीदा है. अगर हमें MSP हटानी ही होती तो स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू ही क्यों करते. पहले जैसे एमएसपी दी जाती थी, वैसे ही दी जाती रहेगी. किसानों के बीच बार-बार एक झूठ को सबसे ज्यादा बोला जा रहा है. अगर हमें एमएसपी हटानी होती है तो हम स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं करते.
  2. हमारी सरकार ने जो पीएम-किसान योजना शुरू की है, उसमें हर साल किसानों को लगभग 75 हजार करोड़ रुपये मिलेंगे यानि 10 साल में लगभग साढ़े 7 लाख करोड़ रुपये. किसानों के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर. कोई लीकेज नहीं, किसी को कोई कमीशन नहीं.
  3. सरकार बार-बार पूछ रही है, पब्लिक में, मीटिंग में पूछ रही है कि आपको कानून के किस क्लोज में दिक्कत है, तो उन राजनीतिक दलों के पास कोई ठोस जवाब नहीं होता, यही इन दलों की सच्चाई है.
  4. विपक्ष किसानों को जमीन जाने का डर दिखा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि किसान के कंधे पर बंदूक रखकर चलाई जा रही है जबकि बिल में ऐसा कुछ नहीं है. कंपनियों और किसानों के बीच सिर्फ फसल का एग्रीमेंट होगा जिसे किसान कभी भी चाहे खत्म कर सकता है.
  5. पीएम मोदी ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोला है. पीएम मोदी ने कहा कि कुछ लोग अपने घोषणापत्र में उन्हीं वादों को करते रहे और लेकिन वो वादों से मुकरते रहे. जब हम राजनीतिक दलों से पूछते हैं कि कृषि कानूनों से क्या ऐतराज है, तो राजनीतिक दलों के पास कोई ठोस जवाब नहीं होता है आज जो किसानों के नाम पर आंदोलन चलाने निकले हैं, उन्होंने सरकार में रहते क्या किया था, उसके बारे में किसानों और देश की जनता को याद रखना चाहिए.
  6. किसानों के लिए जो कानून बने, उनकी आजकल बहुत चर्चा है. ये कानून रातों-रात नहीं आए हैं. पिछले 22 साल से सभी सरकारों ने व्यापक चर्चा की है. सभी संगठनों ने इस पर विमर्श किया है. किसानों के संगठन से लेकर कृषि वैज्ञानिक तक सभी कृषि क्षेत्र में सुधार की मांग करते आए हैं. किसानों को कोई आशंका है तो हम सिर झुकाकर, नम्रता के साथ किसानों के हित में उनकी समस्या का निराकरण करने के लिए हर वक्त तैयार हैं.
  7. फार्मिंग एग्रीमेंट में सिर्फ फसलों या उपज का समझौता होता है. जमीन किसान के ही पास रहती है, एग्रीमेंट और जमीन का कोई लेना-देना ही नहीं है. नए कानूनों को न सिर्फ देश के किसानों ने गले लगाया है, बल्कि भ्रम फैलाने वाले विरोधी दलों को भी जवाब दिया है.
  8. नया कानून बनने से देश की कोई भी मंडी खत्म नहीं होगी. किसानों को एक और विकल्प दिया जा रहा है. किसान चाहें तो अपनी फसल को मंडी में बेचे या कही बाहर. जहां भी उन्हें ज्यादा मुनाफा मिले.
  9. 70 सालों से सरकारें यही बताती रही हैं कि आप सिर्फ इसी मंडी में फसलें बेच सकते हो. लेकिन हम यह कानून लाए हैं कि किसान को जहां लाभ मिलेगा वहां फसल बेच सकता है, चाहे मंडी में बेच सकता है और चाहे बाहर बेच सकता है.
  10. 25 दिसंबर को एक बार फिर मैं इस विषय पर और विस्तार से बात करूंगा. उस दिन पीएम किसान सम्मान निधि की एक और किस्त करोड़ों किसानों के बैंक खातों में एक साथ ट्रांसफर की जाएगी.