बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन ने सात अगस्त को 10 विभिन्न मांगों को लेकर राज्य के सभी जिलों में प्रतिरोध मार्च की घोषणा की है। कहा जा रहा है कि इस प्रतिरोध मार्च के जरिए जहां विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार के घेरने का प्रयास तो किया ही जा रहा है सबसे बड़ी बात है कि इस मार्च के जरिए सभी दलों में एकजुटता को भी दिखाने का प्रयास है।
महागठबंधन के नेता कहते हैं कि बेहद कम बारिश के कारण सूबे के किसान हलकान हैं। खेतों में धान के बिचड़े सूख रहे हैं। पूरे राज्य में सूखे की स्थिति बनी हुई है। समय निकल रहा है, लेकिन न तो पर्याप्त बारिश हो रही है और न ही नहरों में पानी है।
सरकार के पास इससे निपटने की कोई योजना नहीं है। बाढ़ और सूखा बिहार की नियति बन गई है। जल संसाधन से समृद्ध राज्य में पिछले 17 साल से विकास का ढोल पीटने वाली भाजपा-जदयू सरकार इस मामले में एक सुसंगत नीति तक नहीं बना सकी।
इस प्रतिरोध मार्च का आयोजन सात अगस्त को सभी जिलों में किया जाएगा, जिसमे राजद, कांग्रेस और वामपंथी दल शामिल होंगे।
पिछले दिनों राजद और कांग्रेस के रिश्ते में गांठ पड़ गई थी। पिछले तीन विधानसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनाव में राजद और कांग्रेस ने अपने अपने प्रत्याशी उतार दिए थे। यही नहीं विधान परिषद चुनाव में भी सीटों को लेकर समझौता नहीं हो पाया था, जिस कारण कांग्रेस ने भी कई क्षेत्रों में अपने प्रत्याशी उतार दिए। इस प्रतिरोध मार्च के जरिए महागठबंधन एकजुटता को भी दिखाने का प्रयास करेगी।
राजद के मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि सभी दलों की अपनी रणनीति होती है। सभी विपक्ष एक महागठबंधन में हैं लेकिन नीतियां अपनी अपनी हैं। प्रतिरोध मार्च के जरिए 7 अगस्त को सभी जिला मुख्यालयों पर एक-दिवसीय धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया जाएगा।
महागठबंधन की मुख्य मांगों में बिहार को सूखाग्रस्त घोषित करने तथा कृषि कार्य के लिए 24 घंटे फ्री में बिजली देने, महंगाई पर रोक लगाने तथा डीजल, पेट्रोल, गैस की बढ़ी कीमतें वापस लेने और खाद्यान्न व दूध खरीद पर लगे जीएसटी वापस लेने की मांग शामिल है।
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Source : IANS