तीन तलाक : कांग्रेस को सांसत में डालने वाली सांसद सुष्मिता देव अपने बयान पर कायम

तीन तलाक विधेयक को रद्द करने संबंधी बयान को देकर कांग्रेस को सांसत में डलने वाली सांसद सुष्मिता देव (Sushmita Dev) ने कहा है कि वह अपने बयान पर कायम हैं.

तीन तलाक विधेयक को रद्द करने संबंधी बयान को देकर कांग्रेस को सांसत में डलने वाली सांसद सुष्मिता देव (Sushmita Dev) ने कहा है कि वह अपने बयान पर कायम हैं.

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Drigraj Madheshia
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तीन तलाक : कांग्रेस को सांसत में डालने वाली सांसद सुष्मिता देव अपने बयान पर कायम

सांसद सुष्मिता देव

तीन तलाक विधेयक (Triple Talaq Bill) को रद्द करने संबंधी बयान को देकर कांग्रेस (Congress) को सांसत में डलने वाली सांसद सुष्मिता देव (Sushmita Dev) ने कहा है कि वह अपने बयान पर कायम हैं. बता दें देव ने कहा था कि अगर कांग्रेस (Congress) सत्ता में आती है तो पार्टी मुस्लिम समुदाय के भीतर चर्चा से निकले विकल्पों पर जाने के बजाए तीन तलाक विधेयक (Triple Talaq Bill) को रद्द करेगी.

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Sushmita Dev ने बताया, “जो मैंने उस दिन (गुरुवार) बैठक में कहा था, वहीं मैंने संसद के अंदर भी कहा है. तीन तलाक को अपराध करार देने वाले सभी कानूनों को कांग्रेस बदार्श्त नहीं करेगी और उसके बाद मैंने यह भी कहा था कि जो भी कानून महिला सशक्तिकरण के लिए हैं, हम उन कानून का समर्थन करेंगे. लेकिन हम (तलाक के) अपराधीकरण का समर्थन नहीं करेंगे. ”

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बता दें कांग्रेस के अल्पसंख्यक सम्मेलन में गुरुवार को पाटीर् की महिला शाखा की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने कहा था कि अगले चुनाव में सत्ता में आने पर पार्टी तीन तलाक विधेयक को रद्द कर देगी. उन्होंने कहा, “संसद के अंदर और बाहर हमारा रुख समान है. हम तीन तलाक के अपराधीकरण का विरोध कर रहे हैं और करते रहेंगे. और इसके पीछे ठोस कानूनी कारण हैं. आम आदमी इसे समझता है. ”

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यह पूछने पर कि बीजेपी उनके बयान का एक अलग मतलब निकाल सकती है, उन्होंने कहा, “भाजपा ने विपक्ष की 10 बातों में से नौ को तोड़ा मरोड़ा है. (प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी गलत बयानबाजी के राजा के रूप में उभरे हैं. एक छोटा बच्चा भी यह जानता है. ” उन्होंने कहा, “आप उस समुदाय के लिए एक मसीहा बनकर समाधान नहीं निकाल सकते. आपको उनसे परामर्श करना होगा, जो कि इस सरकार ने नहीं किया है. ”

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बता दें लोकसभा में तीन तलाक अध्यादेश बिल पास होने के बाद राज्यसभा में अटक गया था. यही वजह थी कि मोदी सरकार को इसे पारित करने के लिए दोबारा अध्यादेश लाना पड़ा. केंद्र की मोदी सरकार ने संसद के मानसून सत्र में तीन तलाक विरोधी बिल 'द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट' को पास कर मुस्लिम महिलाओं को इस अन्याय से आजाद करने की कोशिश की थी. हालांकि राज्यसभा में बिल फंस गया था, जिसकी वजह से उन्हें इस बिल को पास में कामयाबी नहीं मिल पाई थी.

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इसके बाद तीन तलाक अध्यादेश बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दूसरी बार फिर से मंजूरी दी है. इस विषय में पहला अध्यादेश सितंबर 2018 में जारी हुआ था, जिसकी 22 जनवरी को समाप्ति हो रही थी.

Source : News Nation Bureau

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