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मप्र सरकार की बाघों को गुजरात भेजने की योजना की वन्यजीव कार्यकर्ताओं ने की निंदा

मप्र सरकार की बाघों को गुजरात भेजने की योजना की वन्यजीव कार्यकर्ताओं ने की निंदा

Updated on: 23 Jan 2022, 12:05 AM

भोपाल:

मध्य प्रदेश सरकार ने बचाए गए दो बाघों और चार तेंदुओं को पड़ोसी राज्य गुजरात में स्थानांतरित करने के लिए नई दिल्ली स्थित केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) की मंजूरी मांगी है। इसका वन्यजीव कार्यकर्ताओं ने कड़ा विरोध किया है।

मध्य प्रदेश वन्यजीव विभाग के अधिकारियों के अनुसार, राज्य में भविष्य में जानवरों के लिए पर्याप्त जगह की उपलब्धता सुनिश्चित करने लिए यह निर्णय लिया गया है।

अधिकारियों ने कहा कि वन्यजीव विभाग अक्सर राज्य के विभिन्न हिस्सों में जंगली जानवरों को बचाता है। जानवरों को खुले जंगलों में नहीं छोड़ा जा सकता, इसलिए उन्हें कड़ी निगरानी में रखने की व्यवस्था की जाती है।

भोपाल में वन्यजीव विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी रजनीश सिंह ने कहा कि बचाए गए जानवरों को किसी भी चिड़ियाघर या राष्ट्रीय उद्यान में प्रदर्शित नहीं किया जाता है।

सिंह ने कहा, बाघों या अन्य बचाए गए जंगली जानवरों को अन्य स्थानों पर भेजने का निर्णय कभी-कभी भविष्य की योजना के अनुसार लिया जाता है, जिसमें जानवरों को पर्याप्त जगह प्रदान करना भी शामिल है। ऐसा तब होता है, जब हमारे पास अतिरिक्त संख्या में जंगली जानवर होते हैं।

बचाए गए बाघों को गुजरात के जामनगर में स्थित ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर (जीजेडआरआरसी) को सौंप दिया जाएगा। फिलहाल इन्हें रीवा जिले के महाराजा मरतड सिंह जूदेव व्हाइट टाइगर सफारी और जू में रखा गया है।

यह निर्णय पिछले साल दिसंबर में जीजेडआरआरसी द्वारा मध्य प्रदेश के वन्यजीव विभाग को पत्र लिखे जाने के बाद लिया गया। पत्र में राज्य में प्राणी उद्यानों, बचाव केंद्रों और पारगमन सुविधाओं में रखे गए जंगली जानवरों के अधिग्रहण के लिए अनुरोध किया गया है। इसलिए विभाग ने सेंट्रल जू अथॉरिटी को पत्र लिखकर इसकी मंजूरी मांगी है।

हालांकि, जब विभाग ने इन जानवरों को जामनगर भेजने की प्रक्रिया शुरू की, तो मध्य प्रदेश में वन्यजीव कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे पर सवाल उठाए।

भोपाल के वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए), केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है।

दुबे ने कई बिंदुओं को रेखांकित करते हुए बताया है कि बाघों को क्यों स्थानांतरित नहीं किया जाना चाहिए।

उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, मैंने इस फैसले का विरोध नहीं किया है, लेकिन कानूनी आधार पर ध्यान देने की मांग की है। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मध्य प्रदेश अपने बाघों और तेंदुओं को गुजरात क्यों भेजना चाहेगा, जबकि राज्य में पहले से ही दो बचाव केंद्र हैं?

उन्होंने कहा, दूसरा, वन विभाग ने केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को मुख्यमंत्री की अनुमति के बिना सहमति देने के लिए पत्र लिखा था। मुख्यमंत्री राज्य वन्यजीव बोर्ड के प्रमुख हैं और यदि विभाग को पहले ही इस मामले में उनकी मंजूरी मिल गई है, तो उसने ऐसा क्यों किया, पत्र में इसका उल्लेख नहीं किया गया है।

दूबे ने कहा कि मप्र सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर कान्हा, बांधवगढ़ और पचमढ़ी में टाइगर सफारी बनाने की योजना बना रही है। यह प्रस्ताव किया गया है कि बचाए गए जंगली जानवरों को टाइगर सफारियों में छोड़ा जाएगा। फिर विभाग इन बड़े बाघों को गुजरात भेजने पर कैसे विचार कर सकता है।

दुबे ने कहा कि लगभग तीन दशकों से गिर के एशियाई शेरों को मध्य प्रदेश में स्थानांतरित करने पर कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है, जबकि 2013 का सुप्रीम कोर्ट का आदेश राज्य के पक्ष में आया था।

उन्होंने कहा कि मप्र को बाघों को गुजरात भेजने के बजाय अपने शेर को भेजना चाहिए।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.